• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • ICSE Solutions
    • ICSE Solutions for Class 10
    • ICSE Solutions for Class 9
    • ICSE Solutions for Class 8
    • ICSE Solutions for Class 7
    • ICSE Solutions for Class 6
  • Selina Solutions
  • ML Aggarwal Solutions
  • ISC & ICSE Papers
    • ICSE Previous Year Question Papers Class 10
    • ISC Previous Year Question Papers
    • ICSE Specimen Paper 2021-2022 Class 10 Solved
    • ICSE Specimen Papers 2020 for Class 9
    • ISC Specimen Papers 2020 for Class 12
    • ISC Specimen Papers 2020 for Class 11
    • ICSE Time Table 2020 Class 10
    • ISC Time Table 2020 Class 12
  • Maths
    • Merit Batch

A Plus Topper

Improve your Grades

  • CBSE Sample Papers
  • HSSLive
    • HSSLive Plus Two
    • HSSLive Plus One
    • Kerala SSLC
  • Exams
  • NCERT Solutions for Class 10 Maths
  • NIOS
  • Chemistry
  • Physics
  • ICSE Books

ICSE Hindi Question Paper 2009 Solved for Class 10

February 14, 2023 by Veerendra

ICSE Hindi Previous Year Question Paper 2009 Solved for Class 10

  • Answers to this Paper must be written on the paper provided separately.
  • You will not be allowed to write during the first 15 minutes.
  • This time is to be spent in reading the Question Paper.
  • The time given at the head of this Paper is the time allowed for writing the answers.
  • This paper comprises of two Sections – Section A and Section B.
  • Attempt all questions from Section A.
  • Attempt any four questions from Section B, answering at least one question each from the two books you have studied and any two other questions.
  • The intended marks for questions or parts of questions are given in brackets [ ].

SECTION – A  [40 Marks]
(Attempt all questions from this Section)

Question 1.
Write a short composition in Hindi of approximately 250 words on any one of the following topics : [15]
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 250 शब्दों में संक्षिप्त लेख लिखिए –
(i) आज सारा संसार फ़ैशन का दीवाना है। हमारा अधिकांश व्यवहार फ़ैशन पर ही आधारित है। आपकी दृष्टि में फ़ैशन क्या है और यह आज के मनुष्य को किस प्रकार प्रभावित कर रहा है ?
(ii) दुनिया में अच्छे-बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं। एक अच्छा पड़ोसी जहाँ आपका उत्तम मित्र साबित होता है, वहीं स्वभाव से बुरा पड़ोसी आपका सुख चैन छीन लेता है। अपने पड़ोसी के स्वभाव की चर्चा कीजिए और बताइए कि उसकी कौन सी बात आज जीवन भर नहीं भूल पाएंगे।
(iii) आपकी प्रिय ऋतु कौन-सी है और क्यों ? इस ऋतु में मनाए जाने वाले किसी त्योहार का महत्व बताइए।
(iv) एक मौलिक कहानी लिखिए जिसका आधार निम्नलिखित उक्ति हो –
‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया।’
(v) नीचे दिये गये चित्र को ध्यान से देखिए और चित्र को आधार बनाकर वर्णन कीजिए अथवा कहानी लिखिए, जिसका सीधा व स्पष्ट सम्बन्ध चित्र से होना चाहिए।
ICSE Hindi Question Paper 2009 Solved for Class 10
Answer:
फैशन एक फ्रांसीसी विचारक के अनुसार, आदमी स्वतंत्र पैदा होता है लेकिन पैदा होते ही वह तरह-तरह की जंजीरों में जकड़ उठता है। वह परम्पराओं, रीति-रिवाजों, शिष्टाचारों, औपचारिकताओं आदि का गुलाम हो जाता है। इसी क्रम में वह तेजी से बदलते फैशन का भी गुलाम हो जाता है। समय के साथ, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सभी क्षेत्रों में परिवर्तन होते हैं। किसी समाज में सामाजिक विकास के क्रम में परिवर्तन होते हैं। वास्तव में किसी भी समाज में फैशन, वहाँ की जलवायु, परिवेश तथा विकास की अवस्था पर निर्भर करता है। जैसे-जैसे किसी समाज में सभ्यता का विकास होता है, वैसे-वैसे वहाँ के निवासियों के रहन-सहन का विकास होता है। समय के साथ, परम्परागत तरीके छूटते चले जाते हैं और उनका स्थान नवीनता और आधुनिकता ले लेती है।

वर्तमान समय में फैशन, उन्माद के स्तर पर पहुंच गया है-चाहे यह पाप संगीत से सम्बन्धित हो, कपड़ों से सम्बन्धित हो या किसी अन्य विषय से। प्रत्येक आधुनिक वस्तु फैशन में शामिल है। यह फैशन आधुनिकता और उच्च सामाजिक स्तर का पर्याय बन गया है। इसी क्रम में सिनेमा, थियेटर, पाप संगीत के कार्यक्रम भी हैं जिनमें आना आधुनिकता और फैशन से प्रेरित होता है। प्रायः लोग इन कार्यक्रमों का रसास्वादन करने में असमर्थ होते हैं, फिर भी आधुनिकता और फैशन की परम्परा को निभाने के लिये जाते हैं।

जहाँ तक कपड़ों में फैशन के प्रभाव का प्रश्न है, समाज का प्रत्येक वर्ग इससे प्रभावित है। इस मामले में प्रायः यह कहा जाता रहा है कि महिलाएं व लड़कियों इससे अधिक प्रभावित रहती हैं। लेकिन वर्तमान में लड़कों और लड़कियों में इस आधार पर भेद करना कठिन है। कभी चुस्त और तंग कपड़ों का फैशन और कभी बिल्कुल ढीले कपड़ों का फैशन। यह क्रम तेजी से बदलता रहता है। फिल्मों और फैशन के कार्यक्रमों ने इन परिवर्तनों को और अधिक गति दी है। अपनी मनपसन्द अभिनेत्री की तरह के कपड़े पहनना प्रत्येक लड़की की पहली पसन्द हो गयी है। फैशन व्यवसाय से जुड़े लोगों ने भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही स्थिति लड़कों की भी है। मनपसन्द अभिनेता की तरह के कपड़े पहनना, चलने और बोलने या उसके किसी विशिष्ट भाव की नकल करना सामान्य बात है।

अच्छे से अच्छे कपड़ों के द्वारा अपने व्यक्तित्व को आकर्षक बनाना अच्छी बात है। लेकिन इसमें जिस प्रकार से अन्धानुकरण की प्रवृत्ति बढ़ रही है यह उचित नहीं है। कोई भी वस्त्र केवल इसलिये पहनना कि उसका फैशन है, फिर चाहे वह हमारे शरीर के लिए उपयुक्त हो या न हो, हास्यास्पद लगता है। वस्त्र का महत्वपूर्ण कार्य शरीर को ढकना है। वस्त्र के इस महत्वपूर्ण कार्य की उपेक्षा करना भी अनुचित है।

आधुनिकता और फैशन वर्तमान समाज में अब स्वीकार्य तथ्य हैं। फैशन के अनुसार अपने में परिवर्तन करना भी आज की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। लेकिन इसके अनुकरण से पहले यह सुनिश्चित कर लेना उचित होगा कि यह हमारे व्यक्तित्व में वृद्धि करे न कि ह्रास। अवांछित फैशन के पीछे भागना न केवल बचकाना वरन् कई प्रकार से हानिकारक भी है।

(ii) अच्छा पड़ोसी
पड़ौसी से अभिप्राय आस-पास के रहने वाले से है। दूसरे रूप में कहना चाहें तो कह सकते हैं कि पड़ोसी ही समाज का सर्वाधिक निकट का सम्बन्धी होता है। एक आदर्श पड़ोसी का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर बहुत अधिक गहरा और व्यापक होता है क्योंकि व्यक्ति के जीवन में जो भी घटनाएँ घटित होती हैं, उसमें पड़ोसी की भूमिका सबसे अधिक होती है। पड़ोसी को आदर्श और चरित्रवान् के रूप में यदि हम पाना चाहते हैं और उससे कोई सहयोग प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम उसके प्रति ईमानदार, सच्चे, कर्त्तव्यनिष्ठ और संवेदनशील बनें। हमारे अंदर त्याग-समर्पण की भावना की तरंगें ऊँची होनी चाहिये जिससे पड़ोसी को सुख और शान्ति प्राप्त हो सके। उसके प्रति अपनापन और निःस्वार्थ व्यवहार हमारे लिए नितान्त आवश्यक है अन्यथा हम एक आदर्श के स्थान एक ईर्ष्यालु पड़ोसी पा सकेंगे।

एक अच्छा पड़ोसी वही हो सकता है जो हमारे प्रतिदिन के अच्छे और बुरे व्यवहारों के लिए उत्तरदायी होता है, कल्पना कीजिए घर में आग लगी है, घर के प्रायः सभी सदस्य कार्यालय या अन्य काम धंधों में अन्यत्र गये हैं, किसी को कुछ पता नहीं है, घर में केवल बच्चे और महिलाएं हैं, ऐसी विपदा के समय एक अच्छे पड़ोसी का यह नैतिक कर्तव्य हो जाता है कि वह सर्वप्रथम घर को इस भीषण अग्निकाण्ड से मुक्ति दिलाने के लिए घर के सभी सदस्यों को समझा-बुझाकर सावधान करते हुए अन्य शुभचिन्तक पड़ोसियों को इसकी खबर देकर जलकल को फौरन सूचित करे। फिर काम पर गए सदस्यों को इसकी यथाशीघ्र सूचना देकर आगे की कार्रवाई करे, यथावश्यक कदम उठाना और उचित कार्रवाई करना एक अच्छे पड़ौसी का नैतिक कर्त्तव्य होता है।

पंडित दीनदयाल पाठक मेरा पड़ोसी है। वह मुझसे उम्र में कुछ बड़ा अवश्य है और अक्लमन्द भी। वह व्यवसाय से अध्यापक है, मन, वचन तथा कर्म का बहुत बड़ा पुजारी है। वह समाजसेवी, राजनीतिक, धार्मिक और कुशल वक्ता है। समाज के उत्थान और प्रगति के लिए उसका जन्म हुआ है, ऐसा उसकी कर्मनिष्ठा और सच्ची लगन को देखते हुए कहा जा सकता है। पंडित दीनदयाल पाठक का व्यक्तित्व एक साथ ओजमय, गंभीर, आकर्षक और शील-शिष्टाचार से भरा-पूरा है। उससे उत्साह, निर्भीकता, संवेदनशीलता, सरसता, सरलता, ऋजुता एक साथ टपकती है। वह कठोर-उद्यमी, आत्मविश्वासी, संयमी, साहित्यानुरागी, कलाप्रेमी, संगीतज्ञ, मिलनसार, राष्ट्र-प्रेमी, जातीय गर्व का सचेतक, आत्मनिर्भर और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति है। उससे समाज का प्रत्येक वर्ग प्रभावित होकर उसके कार्यों की प्रशंसा बार-बार करता है।

पंडित दीनदयाल का परिवार बड़ा ही सुसंगठित और एक सूत्रीय परिवार है। उनका परिवार लगभग बीस सदस्यों का संयुक्त परिवार है जो हमारे क्षेत्र के सभी परिवारों में सबसे अच्छा और प्रभावशाली परिवार है। दीनदयाल के पिता और माता हिन्दू धर्म और संस्कति के कट्टर समर्थक हैं। वह अपने हिन्दू आदर्शों और परम्परावादी सिद्धान्तों के सच्चे अनुयायी हैं, यही नहीं उनके आदर्शों का अनुकरण आज भी मेरा पड़ोस करते नहीं अघाता है। दीनदयाल के घर के सभी छोटे-बड़े सदस्य उनके माता-पिता के आदर्शों का लक्ष्मण रेखा के समान उल्लंघन नहीं करते हैं। स्वयं पंडित दीनदयाल और उनकी धर्मपत्नी मंजुला हिन्दू संस्कृति और सभ्यता की प्रतिमूर्ति हैं।

पंडित दीनदयाल का व्यक्तित्व सर्वांगीण विकास से ओतप्रोत होने के कारण हमें अनुप्रेरित करता है। उसके बचपन और उसकी आज की इस युवावस्था पर दृष्टिपात करने पर हमें वह तथ्य बड़ा ही विश्वसनीय लगता है कि ‘होनहार विरवान् के होत चीकने पात्’ अर्थात् संभावना के द्वार पहले से ही खुलने लगते हैं। दीनदयाल का जो जीवन आज हमारे सामने है उससे हम यही अंदेशा कर सकते हैं कि वे आगे चलकर आने वाले समय में निश्चय ही एक बहुचर्चित व्यक्ति के रूप में हमारे समाज और पड़ोस के लिए मार्गदर्शक बनकर हमें दिशाबोध देंगे। एक आदर्श पड़ोसी से हमें और क्या अपेक्षाएँ और आवश्यकताएँ हो सकैती हैं, यह तो आने वाला समय बतायेगा लेकिन इतना अवश्य है कि पंडित दीनदयाल हमें अपनी सद्वृत्तियों और सदाचरणों से अवश्य लाभान्वित करते रहेंगे। हमें ऐसे पड़ोसी को पाकर गर्व और स्वाभिमान होता है कि इससे हमारी निश्चित रूप से एक विशिष्ट पहचान कायम होती है-अंग्रेजी विद्वान की इस सूक्ति का इस संदर्भ की पुष्टि के लिए हम प्रयुक्त कर सकते हैं कि –
‘Man is known by his society’.

(iii) प्रिय ऋतु ‘ऋतुराज वसंत’
भारत में छः ऋतुएँ क्रमानुसार परिवर्तन करके अपने प्रभाव से इस पृथ्वी को सुहावनी बना देती हैं। ये ऋतुएँ हैं – हेमन्त, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद। जहाँ वर्षा को ऋतुओं की रानी कहा जाता है वहीं वसंत को ऋतुराज कहा जाता है। मेरी प्रिय ऋतु वसंत है। वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इसका प्रभाव और महत्व सभी ऋतुओं से बढ़ कर होता है। वसंत ऋतु का महत्व और प्रभाव कितना बड़ा होता है, इस पर विचारते हैं तो हम यह देखते हैं कि यह सचमुच ऋतुओं का शिरोमणि है।

सर्वप्रथम वसंत का आगमन होता है। पौराणिक वसंत कामदेव का पुत्र बताया जाता है। रूप सौंदर्य के देवता कामदेव के घर में पुत्रोत्पत्ति का समाचार पाते ही प्रकृति नृत्यरत हो जाती है। उसकी सम्पूर्ण देह प्रफुल्लता से रोमांचित हो उठती है। तब किसलय रूपी अंग-प्रत्यंग थिरकने लगते हैं। भाँति-भांति के पुष्प उसके आभूषणों का कार्य करते हैं। हरियाली उसके वस्त्र तथा कोयल की मधुर पंचम स्वर वाली कूक उसका स्वर बन जाती है। रूप यौवन सम्पन्ना प्रकृति इठलाते और मदमाते हुए अपने पुत्र वसंत का सजधज के साथ स्वागत करती है।

तुम आओ तुम्हारे लिए वसुधा ने ह्रदय पर मंच बना दिए हैं।
पथ में हरियाली के सुन्दर-सुन्दर पावड़े भी बिछवा दिए हैं।
चहुँ ओर पराग भरे सुमनों के नये विरवा लगवा दिए हैं।
ऋतुराज! तुम्हारे ही स्वागत में सरसों के दिए जलवा दिए हैं।

सुन्दर-सुखद आकर्षक सर्वाधिक रोचक ऋतु वसंत ऋतु है जिसका समय 22 फरवरी से 22 अप्रैल तक होता है। भारतीय गणना के अनुसार इसका समय फाल्गुन से वैसाख माह तक होता है। सचमुच इस ऋतु का सौंदर्य सर्वाधिक होता है। इस ऋतु में प्रकृति के सभी अंग मस्ती में हँसने लगते हैं। सारा वातावरण मस्ती से झूम उठता है। वन में, उपवन में, बाग में, कुंज में, गली-गली में, गाँव-घर और सब जगह वसंत ऋतु की छटा देखते ही बनती है। प्रकृति का नया रूप हर प्रकार से आकर्षक, सहावना और मस्ती से भरा हआ दिखाई देता है।

किसानों के लिए वसंत ऋतु सुख का सन्देश लाती है। अपने खेतों में लहलहाती फसलों को देखकर किसान खुशी में झूम उठते हैं। धरती के पुत्रों के लिए धरती माता सोना उगलती है। किसान आने वाले कल के सुन्दर सुहावने सपने ले रहा होता है। धरती ही किसान की सम्पत्ति है। अपने परिश्रम का फल वह अपनी आँखों के सामने देखकर फूला नहीं समाता। उसका मन-मयूर नाच उठता है। खेतों में सरसों ऐसी प्रतीत होती है मानो धरती ने पीली ओढ़नी ओढ़ रखी हो। धरती इस प्रकार नई नवेली दुल्हन-सी दिखाई देती है।

वसंत ऋतु को ऋतुपति कहते हैं। इस ऋतु के अन्तर्गत ही संवत् वर्ष और सौर वर्ष का नया चक्र प्रारम्भ होता है। इस ऋतु के अन्तर्गत पड़ने वाले दो प्रमुख त्यौहार होली और रामनवमी का अत्यधिक महत्व और सम्मान है। ये दोनों ही त्यौहार लोकप्रिय त्यौहार हैं और उनको मना कर मन प्रसन्न हो उठता है। कवियों की दृष्टि से यह ऋतु बहुत ही प्रेरणादायक, उत्साहवर्द्धक और रोचक ऋतु है जिसकी प्रशंसा में अनेकानेक रचनाएँ रची गई हैं। सचमुच इस ऋतु के आनन्द को भला हम कैसे भूल सकते हैं। मनुष्य ही नहीं देवता भी इस ऋतु का आनन्द प्राप्त करने के लिए तरसते रहते हैं। नवरात्रि का व्रत, उपवास और अनेक प्रकार की देवाराधना इस ऋतु के अन्तर्गत होते हैं, जिससे देवशक्तियाँ प्रभावित होती हैं। वे अपनी प्रसन्नता से सौभाग्यपूर्ण इस ऋतु की शोभा को निखारने में मनुष्य को अपना योगदान करती रहती हैं। वास्तव में वसंत को ऋतुराज, ऋतुपति आदि नाम देना सार्थक ही है।

वसंत का त्यौहार केवल मौसमी पर्व ही नहीं इसका धार्मिक महत्व भी माना जाता है। लोग इस दिन को शुभ मानते हैं और कई समारोह इसी दिन निश्चित किए जाते हैं। वसंत आता है और अपने साथ लाता है-रंग भरी होली, . जिसमें बच्चों, नवयुवकों, नवयुवतियों और यहाँ तक बूढ़ों को भी रंग खेलने का अवसर मिलता है। वसंत ऋतु की शोभा इसके द्वारा द्विगुणित हो जाती है। स्वास्थ्य सुधारने के लिए यह ऋतु विशेष महत्व रखती है। देह में फुर्ती-सी आ जाती है, न तो सर्दी की कँप-कँपी और न गर्मी की लू। ऐसे सुन्दर दिन और शीतल रात्रियों का मोह सबको वसंत की प्रशंसा करने पर बाध्य कर देता है। इसी आमोद-प्रमोद के साथ वसंत पंचमी को भारत में मनाया जाता है।

ऋतुराज वसंत सृष्टि में नवीनता का प्रतिनिधि बनकर आता है। यह बड़ी आनन्ददायक ऋतु है। इस ऋतु में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक ठंडक। यह देवदूत वसंत जन-जन की नव निर्माण और हास-विलास के माध्यम से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के पथ पर अग्रसर होते रहने की प्रेरणा प्रदान करती है।

(iv) सूक्ति : खोदा पहाड़ निकली चुहिया
मनुष्य के पास बुद्धि है। वह प्रत्येक कार्य को अपनी बुद्धि कौशल के द्वारा पूरा करना चाहता है वह कार्य को अपने अधीन मानता है। कभी कभी वह परिश्रम करता है परन्तु उसका परिणाम असन्तोषजनक होता है। जैसा कि अग्रलिखित लोकोक्ति से स्पष्ट होता है – पहाड खोदा निकली चहिया। अर्थात् आशा से विपरीत परिणाम।

दिसम्बर का महीना था। सभी अपने-अपने घरों में गहरी निद्रा में लीन थे। सेठ जानकीदास अपने परिवार के साथ मोढी में रहते थे। व्यापारी थे अच्छा कारोबार था। पैसा बहुत होने के कारण सभी जगह उनकी धाक थी। वे मेरे पड़ोसी थे। हमारे साथ उनके घनिष्ठ सम्बन्ध थे। प्रत्येक उत्सव में, विवाह में, किसी भी शुभ अवसर पर वे हमारे यहाँ

और हम उनके यहाँ जाते थे। पड़ोसी का धर्म है कि वह पड़ोसी की किसी भी विपत्ति में सहायता करे। कड़ाके की सर्दी, सभी जगह सुनसान। समय रात करीब डेढ़ बजे। उन्हें कुछ खटपट की आवाज सुनाई दी। खटपट से नींद खुली। आस-पास सबको जगाया। एक-एक करके सब जाग गये। सभी भयभीत सभी चोर, डकैतों पर सन्देह करने लगे। समझ में नहीं आ रहा था क्या करें। पूरी शक्ति कानों में लगा दी। वही आवाज बार-बार सुनकर घबराने लगे। किसी के पास भी आत्मरक्षा के लिए बन्दूक या कोई हथियार नहीं था। भगवान का नाम जपने लगे।

धीरे-धीरे विश्वास हो गया कि कहीं चोर तो नहीं घुस आये हैं। सभी डरपोक कोई भी पड़ोसी की छत पर जाने के लिए राजी नहीं थे। सब की घिग्घी बँध रही थी। बड़ी हिम्मत करके हम सबने पुलिस को फोन किया कि हमारे यहाँ चोर घुस आये हैं। दस मिनट में पुलिस ने कोठी को चारों ओर से घेर लिया। घर में आकर सबसे पूछताछ की फिर पुलिस अपनी फोर्स के साथ छत पर गई जहाँ से आवाजें आ रही थीं। परन्तु क्या वहाँ कोई भी चोर नहीं मिला बल्कि पाँच-सात बंदर उछल कूद कर रहे थे जिसकी वजह से आवाजें आ रही थीं। सभी एक-दूसरे का मुंह ताकने लगे। पड़ोसी हतप्रभ हो गये। खोदा पहाड़ निकली चुहिया कहावत चरितार्थ हो गयी।

(v) चित्र प्रस्ताव
इस चित्र में चाय की दुकान का एक दृश्य दिखाया गया है। आगरा शहर के एक सिनेमा हाल के बाहर चौराहा। उस चौराहे के एक तरफ कई छोटी-छोटी दुकानें हैं। इस चित्र में केतली से चाय कप में डालता हुआ बालक गरीब परिवार से सम्बन्ध रखता है। जहाँ सभी बच्चों के ये दिन हँसी-खुशी से परिवार के साथ व्यतीत होते हैं, शिक्षा प्राप्त करने के लिए विद्यालय जाते हैं और खेलते कूदते हैं, वहीं गरीबी का मारा यह बालक छोटी उम्र में ही जीविकोपार्जन का साधन बन गया है और वह छोटी-सी चाय की दुकान पर प्रतिदिन चाय बेचता है। परन्तु उसके मुख पर छायी हँसी ह्रदय की कोमलता को प्रकट कर रही है।

सर्दी के मौसम में जहाँ बच्चों को माता-पिता के द्वारा बाहर नहीं निकलने दिया जाता है वहीं यह सुबह के समय चाय बेच रहा है। कुछ हम उम्र बच्चे उसके पास खड़े हुए इस बच्चे को देख रहे हैं। ऐसा मालूम होता है उनके ह्रदय में उससे वार्ता करने की उत्सुकता है वे उससे सम्बन्ध बनाना चाहते हैं परन्तु उसके पास आने में डरते हैं। आखिर क्यों ? उसका एक ही कारण है – स्तर। कहाँ वह गरीब बालक सड़कों पर चाय बेचने वाला कहाँ वे अमीर परिवार में जन्मे बच्चे।

इस प्रकार बच्चा अपना सारा दिन चाय बेचते-बेचते बिता देता है और रात के समय पुनः अपने घर लौट जाता है। फिर दूसरे दिन फिर वही उसकी दिनचर्या शुरू हो जाती है। यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि कुछ बच्चे गरीब परिवार में उत्पन्न होने के कारण प्रतिभाशाली होने पर भी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। सुख-सुविधाएँ तो दूर ये बचपन में ही धन कमाने का साधन बन जाते हैं। एक बहुत बड़ा उत्तरदायित्व उन पर लाद दिया जाता है परन्तु इस समस्या का समाधान हमारे पास नहीं है। यह समस्या तभी दूर हो सकती है जब हमारे देश से गरीबी खत्म हो जाए। हम सभी भारतवासियों को इस समस्या पर अवश्य विचार करना चाहिए और इसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

Question 2.
Write a letter in Hindi in approximately 120 words on any one of topics given below:
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर हिन्दी में लगभग 120 शब्दों में पत्र लिखिए- [7]
(i) ‘आपका मित्र किसी खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विदेश-यात्रा पर जा रहा है। मंगलकामना करते हुए उसे पत्र लिखिए।
(ii) आपके मोहल्ले में जल-आपूर्ति (Water Supply) नियमित रूप से नहीं हो रही है, जल-संस्थान के अधिकारी को शिकायती पत्र लिखिए और उन्हें अपनी समस्याओं के विषय में बताकर, उनसे अनुरोध कीजिए कि वे तत्काल जल-आपूर्ति नियमित कराने की व्यवस्था करें।
Answer:
(i) खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विदेश-यात्रा पर जा रहे मित्र को पत्र

G-42, कमला नगर
आगरा।
दिनांक : 04-04-09

प्रिय मित्र विनायक
अत्र कुशलं तत्रास्तु तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ यह पढ़कर अति प्रसन्नता हुई कि तुम खेल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए विदेश यात्रा आस्ट्रेलिया जा रहे हो। मैं यह जानता हूँ कि तुमने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और प्रथम भी आते रहे हो। तुमने अपने कालेज का कई बार प्रतिनिधित्व भी किया है।
मुझे विश्वास है कि उन्हें अवश्य ही सफलता प्राप्त होगी। यह तुम्हारे परिश्रम और अभ्यास का ही फल है। मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं। तुम्हारी विदेश यात्रा मंगलमय हो। अपने मम्मी पापा को मेरा चरण स्पर्श।
शेष मिलने पर।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में
तुम्हारा मित्र
अर्पित।

(ii) जल संस्थान अधिकारी को पत्र

सेवा में
श्रीमान जन संस्थान अधिकारी महोदय,
जल निगम
आगरा।
विषय – क्षेत्र में जल-आपूर्ति नियमित रूप से नहीं हो पाने के सम्बन्ध में
महोदय,
निवेदन है कि मैं आगरा नगर के बल्केश्वर क्षेत्र का निवासी आपका ध्यान इस क्षेत्र की जल आपूर्ति की समस्या की ओर केन्द्रित करना चाहता हूँ। आजकल इस क्षेत्र के लोगों की जल समस्या अति शोचनीय हो गई है। गर्मियों के दिनों में नल में पानी आने का निश्चित समय नहीं है। पानी की आपूर्ति पर्याप्त रूप से नहीं है। कभी-कभी यहाँ के निवासियों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ता है। इस कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आपसे अनुरोध है कि आप नल में पानी आने की निश्चित अवधि तय करें ताकि हमें इस समस्या से छुटकारा मिले।
सधन्यवाद
प्रार्थी
अमित गुप्ता
मकान नम्बर 15, बल्केश्वर,
आगरा।
दिनांक : 01-04-2009

Question 3.
Read the passage given below and answer in Hindi the questions that follow, using your own words as far as possible:
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िये तथा उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर हिन्दी में लिखिए। उत्तर यथासम्भव आपके अपने शब्दों में होने चाहिए –
किसी नगर में एक जुलाहा रहता था। स्वभाव का वह बड़ा अच्छा था। सभी से मीठा बोलता था और कभी किसी से नाराज़ नहीं होता था। लोग उसे सन्त कहा करते थे।
एक दिन कुछ शरारती लड़के उसके यहाँ पहुँचे। वे उसकी परीक्षा लेकर देखना चाहते थे कि उसे कैसे गुस्सा नहीं आता। उनमें से एक बहुत धनी व्यक्ति का लड़का था। उसे अपने पैसे का घमंड था। उन लड़कों को देखते ही जुलाहे ने बड़े प्यार से कहा, “आओ बेटा, तुम लोगों को क्या चाहिए ?”
सामने रखी साड़ियों में से एक की ओर इशारा करके एक लड़के ने कहा, “मुझे वह साड़ी चाहिए। उसका क्या लोगे?”
जुलाहे ने कहा, “दो रुपये”।
उस लड़के ने वह साड़ी हाथ में ले ली और उसके दो टुकड़े कर डाले। बोला, “मुझे पूरी नहीं, आधी चाहिए। इसका क्या लोगे?”
जुलाहे ने बड़ी शान्ति से कहा, “एक रुपया।” नौजवान ने उस आधी साड़ी के भी दो टुकड़े करके पूछा, “इसका क्या दाम होगा?” “आठ आना।” जुलाहे ने बिना किसी प्रकार की नाराज़गी के कहा।
लड़का तो उसको चिढ़ाना चाहता था। वह साड़ी के टुकड़े पर टुकड़े करता गया, पर जुलाहे ने न उसको रोका, न डाँटा, न अपने माथे पर शिकन तक आने दी।
जब साड़ी के बहुत से टुकड़े हो गये तो लड़का हँस कर बोला, “ये टुकड़े मेरे किस काम के ! मैं इन्हें नहीं खरीदूंगा।”
जुलाहे ने शान्त भाव से कहा, “तुम ठीक कहते हो बेटा, ये टुकड़े अब तुम्हारे क्या, किसी के भी काम नहीं आ सकते।” लड़के को इस बात पर कुछ शर्म आयी। उसे कहा, “यह लो, मैं तुम्हें पूरी साड़ी के दाम दिये देता हूँ।”

जुलाहे ने रुपये नहीं लिये। बोला, “मैं इन टुकड़ों को जोड़ कर काम में ले आऊँगा। पर ये तुम्हारे काम नहीं आ सकते तो मैं इनका दाम कैसे ले सकता हूँ।” लड़के के ऊपर तो अपने धन का नशा चढ़ा था। उसने कहा, “मेरे पास बहुत रुपये हैं, पर तुम गरीब हो। मैंने तुम्हारी चीज खराब कर दी। उसका घाटा मुझे पूरा करना चाहिए।”

जुलाहे ने धीमी आवाज़ में कहा, “क्या तुम इसका घाटा पूरा कर सकते हो ? क्या तुम समझते हो कि रुपये से यह घाटा पूरा हो जायेगा ? देखो किसानों की मेहनत से कपास पैदा हुई। उसकी रुई से मेरी स्त्री ने सूत काता। मैंने उस सूत को रँगा, फिर उससे साड़ी बुनी। हमारी मेहनत तब कारगर होती, जब कोई उस साड़ी को पहनता।

तुमने तो उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले! इतने लोगों की मेहनत बेकार गई। रुपये इस घाटे को कैसे पूरा कर सकते हैं ?” जुलाहे की आवाज़ में तनिक भी आवेश नहीं था। वह तो उसे ऐसे समझा रहा था, जैसे बाप बेटे को समझाता है।
लड़का पानी-पानी हो गया। उसकी आँखें भर आईं। वह जुलाहे के पैरों पर गिर गया। जुलाहे ने उसे उठाकर अपनी छाती से लगाते हुए कहा, “बेटा, अगर मैं लालच करके दो रुपये ले लेता, तो तुम्हारी ज़िन्दगी का वही हाल हुआ होता जो इस साड़ी का हुआ। वह किसी के काम न आती। अब तुम समझ गये। आगे ऐसी गलती कभी नहीं करोगे। एक साड़ी खराब हुई, दूसरी तैयार हो सकती है, लेकिन ज़िन्दगी बिगड़ गई तो कैसे सुधारोगे?” लड़का और उसके साथी बहुत शर्मिन्दा हुए और सिर नीचा करके अपने-अपने घर चले गये।
यह जुलाहे थे दक्षिण के महान सन्त तिरुवल्लुवर, जिनका लिखा ‘कुरल’ आज दो हज़ार वर्ष बाद भी बड़ी श्रद्धा से पढ़ा जाता है।
(i) जुलाहा कौन था ? उसका स्वभाव कैसा था? [2]
(ii) लड़के जुलाहे की परीक्षा क्यों लेना चाहते थे? वे साड़ी के टुकड़े पर टुकड़े क्यों कर रहे थे? [2]
(iii) लड़के द्वारा चिढ़ाये जाने पर जुलाहे ने क्या कहा? जुलाहे ने साड़ी के दाम क्यों नहीं लिए? [2]
(iv) लड़के पर जुलाहे की बात का क्या प्रभाव पड़ा? [2]
(v) प्रस्तुत गद्यांश से आपको क्या शिक्षा मिली? [2]
Answer.
(i) जुलाहा दक्षिण का महान सन्त विरुवल्लपुर था। उसका स्वभाव बड़ा अच्छा था। वह मृदुभाषी तथा सभी से मीठा बोलता था। उसका व्यवहार शान्त प्रकृति का था। वह कभी किसी से नाराज नहीं होता था। दो हजार वर्ष पूर्व लिखा इनका ‘कुरल’ आज भी बड़ी श्रद्धा से पढ़ा जाता है।

(ii) जुलाहा बहुत शान्त प्रकृति का था। उसे गुस्सा नहीं आता था। कुछ शरारती लड़के उसकी परीक्षा लेकर देखना चाहते थे कि उसे गुस्सा क्यों नहीं आता है। वे साड़ी के टुकड़े-टुकड़े करके उसे चिढ़ा रहे थे जिससे वह गुस्सा करे। परन्तु जुलाहा के माथे पर शिकन तक नहीं आयी।

(iii) जुलाहे ने शान्त भव से कहा, बेटा, ये टुकड़े अब तुम्हारे क्या किसी के भी काम नहीं आ सकते तो मैं इनका दाम कैसे ले सकता हूँ।
जुलाहे ने शान्त आवाज में लड़के को समझाया, क्या तुम रुपये से यह घाटा पूरा कर सकते हो ? देखो किसानों की मेहनत से कपास पैदा हुई। उसकी रुई से मेरी स्त्री ने सूत काता। मैंने उस सूत को रँगा, फिर उससे साड़ी बुनी। हमारी मेहनत तब कारगर होती, जब कोई उस साड़ी को पहनता। तुमने तो उसके टुकड़े-टुकड़े कर डाले! इतने लोगों की मेहनत बेकार गई। रुपये इस घाटे को कैसे पूरा कर सकते हैं ? जुलाहे ने साड़ी के दाम इसलिए नहीं लिये क्योंकि वे टुकड़े बालक के काम नहीं आ सकते थे। लड़का जुलाहे के बात सुनकर पानी-पानी हो गया। उसकी आँखें भर आईं। वह जुलाहे के पैरों पर गिर गया और अपने किये पर बहुत शर्मिन्दा हुआ।

(v) धनी व्यक्ति को घमण्ड नहीं करना चाहिए। अमीरी के अहंकार में व्यक्ति का विवेक समाप्त हो जाता है। धन के मद में वह सब कुछ भूल जाता है। वह गरीबों को निम्न दृष्टि से देखने लगता है। चाहे हमारे पास कितना भी पैसा क्यों न हो हमें दूसरों को सताना नहीं चाहिए।

Question 4.
Answer the following according to the instructions given :
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार लिखिए
(i) निम्न शब्दों से विशेषण बनाइए
रोग, परिवार। [1]
(ii) निम्न शब्दों में से किसी एक शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए
आकाश, घमंड। [1]
(iii) निम्न शब्दों में से किन्हीं दो शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए
प्रशंसा, सेवक, संधि, गुप्त। [1]
(iv) ‘निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक की सहायता से वाक्य बनाइए
मुट्ठी गरम करना, हाथ-पैर मारना। [1]
(v) भाववाचक संज्ञा बनाइए
सेवक, राष्ट्र। [1]
(vi) कोष्ठक में दिये गये निर्देशानुसार वाक्यों में परिवर्तन कीजिए
(a) पंडित जी कथा सुना रहे हैं।
(‘द्वारा’ शब्द का प्रयोग कीजिए) [1]
(b) हलवाई ने जलेबियाँ बनाई थीं।
(भविष्यकाल में बदलिए) [1]
(c) साँझ होते ही पक्षी अपने-अपने नीर को लौट आते हैं।
(रेखांकित के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कीजिए।) [1]
Answer:
(i) विशेषण में परिवर्तन
रोग – रोगी
परिवार – वारिवारिक।

(ii) पर्यायवाची शब्द
आकाश – आसमान, नभ।
घमण्ड – अभिमान, दर्प।

(iii) शब्दों के विपरीत शब्द
प्रशंसा – निन्दा
सेवक – स्वामी
संधि – विग्रह।
गुप्त – प्रकट।

(iv) मुहावरों का वाक्य प्रयोग –
मुट्ठी गरम करना (रिश्वत देना) – सरकारी कार्यालयों में अपना कोई भी कार्य करवाने के लिये पहले अफसरों की मुट्ठी गरम करनी पड़ती है।
हाथ पैर मारना (सफलता न मिलना) – मेरा मित्र पवन दो सालों से नौकरी प्राप्त करने के लिए हाथ पैर मार रहा है परन्तु उसे नौकरी नहीं मिली।

(v) भाववाचक संज्ञा में परिवर्तन
सेवक – सेवा
राष्ट्र – राष्ट्रीयता

(vi) कोष्ठक में दिये गये निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन
(a) पंडित जी द्वारा कथा सुनाई जा रही है।
(b) हलवाई जलेबियाँ बनायेगा।
(c) साँझ होते ही पक्षी अपने-अपने नीड़ को लौट जाते हैं।

Section – B (40 Marks)

  • गद्य संकलन : Out of Syllabus
  • चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य : Out of Syllabus
  • एकांकी सुमन : Out of Syllabus
  • काव्य-चन्द्रिका : Out of Syllabus

ICSE Class 10 Hindi Previous Years Question Papers

Filed Under: ICSE

Primary Sidebar

  • MCQ Questions
  • RS Aggarwal Solutions
  • RS Aggarwal Solutions Class 10
  • RS Aggarwal Solutions Class 9
  • RS Aggarwal Solutions Class 8
  • RS Aggarwal Solutions Class 7
  • RS Aggarwal Solutions Class 6
  • ICSE Solutions
  • Selina ICSE Solutions
  • Concise Mathematics Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Physics Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Chemistry Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Biology Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Mathematics Class 9 ICSE Solutions
  • Concise Physics Class 9 ICSE Solutions
  • Concise Chemistry Class 9 ICSE Solutions
  • Concise Biology Class 9 ICSE Solutions
  • ML Aggarwal Solutions
  • ML Aggarwal Class 10 Solutions
  • ML Aggarwal Class 9 Solutions
  • ML Aggarwal Class 8 Solutions
  • ML Aggarwal Class 7 Solutions
  • ML Aggarwal Class 6 Solutions
  • HSSLive Plus One
  • HSSLive Plus Two
  • Kerala SSLC

Recent Posts

  • Paragraph on My Plans for Summer Vacation 100, 150, 200, 250 to 300 Words for Kids, Students And Children
  • Advantages and Disadvantages of Online Shopping | Pros and Cons, Benefits of Online Shopping
  • वर्ण विभाग – हिन्दी वर्ण, वर्णमाला, परिभाषा, भेद और उदाहरण
  • Roopak Alankar – रूपक अलंकार, परिभाषा उदाहरण अर्थ हिन्दी एवं संस्कृत
  • Essay on Forest | Long and Short Essay on Forest in English for Children and Students
  • Advantages And Disadvantages Of Entrepreneurship | What is Entrepreneurship?, Pros and Cons, Benefits and Drawbacks
  • Focussed vs Focused | Which is Correct? Difference Between Focussed and Focused
  • Advantages and Disadvantages of Hydropower Plant | What are Hydropower Plants?
  • Physics Symbols and Their Names
  • How to Address a Letter | Format and Sample of Addressing a Letter
  • EWS Certificate | Application Process, Documents Required, Format, How To Apply?

Footer

  • RS Aggarwal Solutions
  • RS Aggarwal Solutions Class 10
  • RS Aggarwal Solutions Class 9
  • RS Aggarwal Solutions Class 8
  • RS Aggarwal Solutions Class 7
  • RS Aggarwal Solutions Class 6
  • Picture Dictionary
  • English Speech
  • ICSE Solutions
  • Selina ICSE Solutions
  • ML Aggarwal Solutions
  • HSSLive Plus One
  • HSSLive Plus Two
  • Kerala SSLC
  • Distance Education
DisclaimerPrivacy Policy
Area Volume Calculator