Kerala Plus One Hindi निबंध(Essay)
Points to Remember
Activity 1
निम्नलिखित सूचनाएँ पढ़ें।
- विद्यार्थी का महत्व
- विद्यार्थी के विशिष्ट गुण
- आदर्श विद्यार्थी
- विद्यार्थी जीवन में विकास प्रक्रिया
- राष्ट्रनिर्माण में सहायक
सूचनाओं को विकसित करके “विद्यार्थी और राष्ट्र निर्माण” विषय पर निबंध तैयार करें।
उत्तरः
विद्यार्थी और राष्ट्रनिर्माण
किसी भी देश का विद्यार्थी ऐसी नींव का कार्य करता है जिसपर राष्ट्र रूपी इमारत खडी होती है। राष्ट्रनिर्माण में विद्यार्थी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। भारतीय संसद ने संविधान में संशोधन कर मतदाता की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी जिससे कई विद्यार्थी इसके दायरे में आ गए हैं। विद्यार्थी भी अपने कर्तव्य को समझते हुए मतदान में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं। विद्यार्थी राष्ट्रनिर्माण में तभी सकारात्मक योगदान दे सकता है जब वह अपनी शक्ति को पहचान ले। राष्ट्र के प्रति निष्ठा रखे तथा राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। अपने अध्ययन के प्रति समर्पित हो और अपने विषय का विशेषज्ञ बने। राष्ट्र के जीवन मूल्यों की रक्षा करें।
वह आतंकवाद, महँगाई आदि के विरुद्ध जनचेतना जगा सकता है। श्रमदान द्वारा अपने आस-पास का वातारण सुन्दर बना सकता है। प्राकृतिक आपदा के समय पीडितों की सहायता कर सकता है। सार्वजनिक स्थानों को गंदा होने से बचा सकता है। किसी परदेसी का उचित मार्गदर्शन करके उसे परेशान होने से बचा सकता है। यदि कहीं कोई विदेशी पर्यटक किसी कारण से परेशान होता दिखाई पडे, उसकी सहायता कर सकते हैं। अशिक्षित को शिक्षा देकर उसके जीवन का अंधकार दूर कर सकता है। संक्षेप में हम कह सकते हैं कि विद्यार्थी अपने विभिन्न सामाजिक कृत्यों द्वारा राष्ट्रनिर्माण के पुनीत कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
Activity 2
निम्नलिखित सूचनाएँ ध्यान से पढ़ें।
- प्लास्टिक एक कृत्रिम पदार्थ
- प्लास्टिक के गुण
- प्लास्टिक से हानियाँ
- पर्यावरण पर इसका प्रभाव
- प्रदूषण से बचने का उपाय
सूचनाओं के आधार पर “प्लास्टिक उपयोग और अभिशाप” विषय पर निबंध लिखें।
उत्तरः
प्लास्टिक उपयोग और अभिशाप
प्लास्टिक एक कृत्रिम पदार्थ है। लकडी, लोहा या अन्य वे धातएं जिनसे किसी बरतन या यंत्र का निर्माण किया जाता है, वे ठीक उसी रूप में अथवा किसी न किसी रूप में हमें प्रकृति से प्राप्त होती हैं जबकि प्लास्टिक वैज्ञानिक विधि-विधान से कारखानों में तैयार किया जाता है। आज के युग में इसका उपयोग सभी क्षेत्रों में होने लगा है। वह हवाई जहाज़ का निर्माण हो या बच्चों का हवाई खिलोना। प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का भार कम होता है। इन्हें किसी भी रंग में तैयार किया जा सकता है। इनकी साफ-सफाई आसान होती है। इन्हें कोई भी रुपाकार दिया जा सकता है। जिन वस्तुओं के निर्माण के लिए कभी पेडों की कटाई की जाती थी, वे उपकरण अब प्लास्टिक से भी बनने लगे हैं।
अब प्लास्टिक के निर्माण के लिए पेडों को आहुति नहीं देनी पड़ती। प्रकृति पर उपकार करनेवाला प्लास्टिक वास्तव में प्रकृति का शत्रु है। प्लास्टिक की वस्तुओं के निर्माण की प्रक्रिया ऐसी है जिससे पर्यावरण प्रदूषित होता है। यह ऐसी कृत्रिम धातु है जो सैकड़ों साल ज़मीन में दबी रहने पर भी मिट्टी बनकर जमीन का ही हिस्सा नहीं बनती बल्कि वैसी की वैसी रहती है। पॉलिथीन बाग के उपयोग के बाद उन्हें इधर-उधर फेंक देते हैं। गाय या अन्य पशु इन्हें खाकर बीमार होते हैं। इनको जलाने से जहरीला धुआँ निकलता है जो साँस की बीमारी फैलाता है। इनके कारण धरती की उर्वराशक्ति कम हो जाती है। इससे पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है। इस समस्या को पार करने केलिए सरकार और जनता दोनों को मिलाकर प्रयास करना होगा। सरकार पोलिथीन के अनावश्यक उपयोग पर रोक लगाए।
Activity 3
नीचे दिए गए संकेत पढ़ें।
- आतंकवाद का अर्थ
- आतंकवादी कौन
- विकास प्रक्रिया में चुनौती
- आतंकवाद से हानियाँ
- रोकने का उपाय
संकेतों को जोड़कर “आतंकवाद देश केलिए खतरा” विषय पर निबंध लिखें।
उत्तर:
आतंकवाद
‘आतंकवाद’ शब्द आजकल सर्वपरिचित हो चुका है। आतंक का अर्थ है – भय। भय के बल पर या हिंसात्मक ढंग से अपनी बात को मनवाना या माँगों को पूरा करवाना ही आतंकवाद है। ऐसे लोग दूसरों से अपनी शक्ति दिखाने केलिए कुचक्रों की रचना करते हों, समाज में आतंक फैलाते हों, आतंकवादी कहलाते हैं। कहीं पर भी साधारण मार-पीट से लेकर बम-वर्षा तक, उन्हें अपनी उपलब्धि लगती है। ऐसे लोग न तो अपने जीवन की परवाह करते हैं और न ही किसी को मौत के घाट उतरने में संकोच करते हैं। वे हिंसात्मक घटनाओं में विशेष आनंद लेते हैं। वे क्रूर, अत्याचारी और असत्यवादी होते हैं।
आज संसार के अनेक देश आतंकवाद से भयभीत है। हिंसावादी की हत्य या मृत्य भी हिंसा से ही होती है। आतंकवाद से सभी पीडित हैं क्योंकि न तो आतंकवादी को धर्म-अधर्म से कुछ लेना – देना होता है और न ही कर्तव्य-अकर्तव्य की चिता। आतंकवाद का शिकार होनेवाले सरल और बेकसूर व्यक्ति उनके गुनाहों से बच नहीं पाते। जो उनके हाथों मृत्यु का ग्रास नहीं बनते, वे जीवनभर दुःख भोगते रहते हैं। आतंकवाद से बचने का एकमात्र उपाय है व्यक्तिगत विवेकशीलता। जो व्यक्ति अपनी भावनाओं और विचारों को शुद्ध और उन्नत रखता है, वह कभी आतंकवादी नहीं बन सकता।
Activity 4
निम्नलिखित संकेतों को ध्यान से पढ़ें।
- समाज में नारी का स्थान
- प्राचीनकाल की नारी
- शिक्षा से नारी जीवन में विकास
- नारी के कारण प्रगति
- राष्ट्रोत्थान में सहायक
संकेतों को विकसित करके “राष्ट्रोत्थान में नारी का स्थान” विषय पर निबंध लिखें।
उत्तरः
राष्ट्रोत्थान में नारी का स्थान
भावी पीढ़ी के निर्माण में नारी का योगदान सदैव प्रमुख रहा है। नारी शिशु की प्रथम गुरु होती है। बाल्यकाल में शिशु को जिस स्नेह और देखभाल की आवश्यकता होती है वह उसे माँ से ही प्राण्य है। पुराने जमाने से ही भारतीय समाज में नारी किसी न किसी पर आश्रित रहती आई है। इसलिए नारी को पराश्रिता कहा जाता है। बचपन में नारी माता-पिता के आश्रय में रहती है, विवाह के बाद पति के संरक्षण में तथा बढ़ापे में बच्चों की आश्रित बनती है। उसकी दीन-हीन दशा का कारण घर की संपत्ति पर उसका अधिकार न होना था। आधुनिक काल में सभी क्षेत्रों में नारी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
यदि नारी को उसकी क्षमता तथा रुचि के अनुरूप कार्य करने की स्वतन्त्रता मिले तो वह विकास की बुलंदियों को छू सकती है। यदि कोई नारी डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापिका, कलाकार या वैज्ञानिक बनने में सक्षम है तो उसे घर सँभालने केलिए बाध्य करना परे राष्ट्र केलिए घातक सिद्ध होगा। अब नारी पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर समाज के निर्माण में लगी हुई है। ऐसा कौन-सा क्षेत्र है जिसमें नारी ने अपना कमाल न दिखाए हों। उचित शिक्षा और आत्मविश्वास के साथ आज वह हर क्षेत्र में अपना योगदान दे रही है। यदि उसे और समर्थ बनने का अवसर मिलें तो राष्ट्र-निर्माण में उसका योगदान सर्वाधिक होगा।
Activity 5
निम्नांकित सूचनाओं को पढ़ें
- समय सबसे मूल्यवान
- जीवन का हर पल कीमती
- छात्र-जीवन में समय का विशेष महत्व
- समय का सदुपयोग-सफलता का मंत्र
सूचनाओं के आधार पर “समय का सदुपयोग” विषय पर निबंध तैयार करें।
उत्तर.
समय का सदुपयोग
इस संसार में सबसे अमूल्य वस्तु है समय। जो इसे नष्ट करता है, वह स्वयं नष्ट हो जाता है। इस संसार में सभी चीज़ों को घटाया – बढ़ाया जा सकता है, पर समय को नहीं। समय किसी के अधीन में नहीं रहता। न वह रुक सकता है, न ही वह किसी की प्रतीक्षा करता है। इसलिए ही ऐसा कहा गाया है – “समय और सागर की लहरें किसी की प्रतीक्षा नहीं करती”। समय अबाध गति से बढ़ता जाता है। जो इसका सदुपयोग कर लेता है। वही जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर होता है। जो व्यक्ति समय के महत्व को समझ गया, उसने जीवन के रहस्य को जान लिया। संसार के कठिन से कठिन कार्य उनके लिए सुगम हो जाते हैं।
समय का सदुपयोग करने से साधारण से साधारण व्यक्ति भी महान बन जाता है। इतिहास साक्षी है जो भी व्यक्ति समय का सदुपयोग करता रहा, उसने बडी सफलताएँ प्राप्त की। मेडम क्यूरी ने रातों रात जागकर मेहनत की, बीस-बीस घंटे प्रयोगशाला में लगाए और रेडियम की खोज की। जीवन का प्रत्येक क्षण हमारे भाग्यनिर्माता के रूप में हमारे समक्ष आता है। उसका कितना सदुपयोग हम कर पाते हैं, वह हमारे विवेक पर निर्भर करता है। बुद्धिमान व्यक्ति अपने जीवन के प्रत्येक के प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते हैं। जो समयानुसार काम करने की आदत डाल लेता है, उसके सभी काम पूरे हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति अपना सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन सफलतापूर्वक जी पाते हैं। वे अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का आनंद लेते हैं।संसार के समस्त देशों में से वे ही राष्ट्र उन्नति के चरम शिखर पर पहूँच पाते हैं। जहाँ समय के सदुपयोग को जाना और पहचाना गया है। जिस देश का प्रत्येक नागरिक समय का सदुपयोग करता है, वही राष्ट्र तरक्की कर पाता है।
Activity 6
नीचे दिए गए सूचनाओं को पढ़ें।
- महंगाई के कारण
- हड़ताले
- कम उत्पादन
- वितरण की समुचित व्यवस्था
- व्यापारी वर्ग का स्वार्थ
- सरकार का कर्तव्य
- महंगाई से वचने का उपाय
संकेतों को विकसित करके “महंगाई की समस्या” पर निबंध लिखें।
उत्तरः
महँगाई
आजकल देश विदेश में फैली हुई एक भौगोलिक समस्या है ‘महँगाई’। कुछ वर्षों के अन्दर सारे पदार्थों का दाम-चाहे वह खाने पीने का हो, कपड़ों का हो, जीवन सुविधा की सामग्रियों का हो-न जाने किनकिन पदार्थों का उपयोग मनुष्य को करना पड़ता है उन सबों का दाम दिन-ब-दिन बढ़ते चले आया है। गरीबी दिन-ब-दिन बढ़ रही है जिसे हटाना आसान नहीं है। गरीबी को हटाने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ बनायी जा रही हैं। इसकेलिए समाज के एक-एक व्यक्ति का सहयोग अनिवार्य
महँगाई का कारण अनेक हैं। खासकर समय-समय पर दीख पड़नेवाली हडताले, व्यावसायिक और कृषि क्षेत्र में कम उत्पादन, वितरण की अनुचित व्यवस्था, व्यापारी वर्ग का स्वार्थ मनोभाव, काला बाज़ार आदि महँगाई फैलाने के कारण बन सकते हैं। हडतालों का विविध रूप होता है। किसी भी हडताल का परिणाम महँगाई है। जिन पदार्थो का उत्पादन बहुत कम होता है उनकी महंगाई पूर्वाधिक बढ़ती रहती है। महँगाई की समस्या से विद्यार्थियों को, खासकर गरीब विद्यार्थियों को बहुत तडपना पडता है।
यह विद्यार्थी जीवन में अशांति फैलाती है। वितरण की अनुचित व्यवस्था से समाज में अमीरी-गरीबी का संतुलन खोया है। अमीर सारी सुख सुविधाओं से जीता है तो गरीब कष्ट-नष्ट सहकर जीता है। साथ-साथ व्यापारी वर्ग का स्वार्थपूर्ण व्यवहार से गरीबों को शोषण होता जा रहा है।
महंगाई के दुष्परिणाम से सामाजिक शोषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। खाद्य पदार्थो, कपड़ों और बस्तियों का अभाव गरीबों के बीच रोज़ बढ़ता जा रहा है। यह एक भीषण दुर्गति है कि आजकल मनुष्य प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए तरस रहा है। कार्षिक क्षेत्र में किसानों की हालत बुरी हो रही है और किसानों को महँगाई का शिकार बनकर मरना पड़ता है।
Activity 7
निम्नलिखित संकेतों को पढ़ें।
कंप्यूटर
- विज्ञान की देन
- कंप्यूटर के उपयोग
- अद्भुत क्रांति
- कंप्यूटर और हमारी जरूरतें
- मानव के विकास में कंप्यूटर का योगदान
संकेतों के आधार पर ‘कंप्यूटर के चमत्कार” विषय पर निबंध तैयार करें।
उत्तर:
कंप्यूटर के चमत्कार
आज का युग कंप्यूटर का युग है। मानव केलिए कंप्यूटर की खोज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। कंप्यूटर ने आज हर क्षेत्र में अपना अधिकार जमा लिया है। कंप्यूटर की उपयोगिता इस बात से ही सिद्ध हो जाती है कि आज स्कूली शिक्षा में कंप्यूटर को शामिल किया गया है। आजकल कंप्यूटर का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र के साथ साथ अन्य क्षेत्रों में भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। बड़ी-बड़ी प्रयोगशालायें, बैंक, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डे आदि इसके उदाहरण है। चिकित्सा के क्षेत्र में तो कंप्यूटर ने क्रांति ला दी है।
इंटरनेट ने तो दुनिया को एक छोटे से डिब्बे में समेटने का बहुत बड़ा काम किया है। इंटरनेट के माध्यम से विश्व के एक कोने की सूचना या समाचार को पलक झपकते ही विस्तार पाने की शक्ति मिल गई है। अब तो हर क्षेत्र में कंप्यूटर एक अनिवार्य साधन बन गया है। कंप्यूटर की सहायता से ही मानव अन्य ग्रहों – उपग्रहों पर अंतरिक्ष यान पहुँचा सका है और वहाँ का सीधा प्रसारण अपनी आँखों से देख सकता है। अतः कहा जा सकता है कि मानव जीवन में कंप्यूटर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
Activity 8
निम्नांकित संकेत पढ़े।
- भ्रष्टाचार का अर्थ
- भ्रष्टाचार के अनेक रूप
- भ्रष्टाचार और राजनीति
- भ्रष्टाचार निवारण
- सरकार की ज़िम्मेदारी
संकेतों को विकसित करके “भ्रष्टाचार : समाज का अभिशाप” विषय पर निबंध लिखें।
उत्तरः
भ्रष्टाचार
जब व्यक्ति के आचार और व्यवहार भ्रष्ट हो जाए और फलस्वरूप वह समाज विरोधी कार्य करने लगे तो उसे भ्रष्टाचार कहते हैं। यह अनेक रूपों में हो सकता है। सरकारी तंत्र में, न्याय व्यवस्था में एवं अन्य व्यवस्थाओं में आम आदमी को अपना काम करवाने केलिए रिश्वत देनी पड़ती है, कुरसी पर बैठे व्यक्ति को तोहफों से प्रसन्न करना होता है। परंतु हर आदमी ऐसा नहीं कर सकता। भ्रष्टाचार समाज को धुन की तरह खाए जा रहा है। इसे हटाना बहुत ज़रूरी है। आज शायद ही कोई क्षेत्र ऐसा हो जिसमें भ्रष्टाचार व्याप्त न हो। भले ही यह राजनैतिक क्षेत्र हो, सामाजिक क्षेत्र हो, सेवा क्षेत्र हो या धार्मिक। सर्वत्र भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
राजनीति में शायद सर्वाधिक भ्रष्टाचार है। रिश्वत लेने को अधिकारी अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। पैसों केलिए वे किसी कानून सम्मत कार्य को रुकवा सकते हैं या गैर कानूनी कार्य को करवा सकते हैं। भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में आम जनता भी पीछे नहीं है। नेता तभी वोट खरीद सकते हैं जब जनता बेचने को तैयार हो। सरकारी कर्मचारी को रिश्वत आम जनता ही देती है। जब तक पूरे देश की सोच नहीं बदलती तब तक इस समस्या का निवारण नहीं हो सकता। भ्रष्टाचार के निवारण केलिए हमारी
न्याय व्यवस्था और दंडनीति का निष्पक्ष, कठोर और द्रुतगामी होना आवश्यक है।
Activity 9
नीचे दिए सूचनाओं को ध्यान से पढ़ें।
- अशिक्षा से तात्पर्य
- अज्ञान से मुश्किलें
- देश की उन्नति में बाधक
- सरकार द्वारा शिक्षा प्राप्ति की विविध योजनाएँ
सूचनाओं की सहायता से “अशिक्षा : समाज का कलंक” विषय पर निबंध तैयार करें।
उत्तर.
अशिक्षा : समाज का कलंक
सभ्यता के विकास के साथ ही मानव का शिक्षित होना भी एक अनिवार्य पहलू है। ‘विवेक’ और ‘शिक्षा’ ही ऐसे दो पहल हैं जो मानव को पशु से अलग करती है। ‘निरक्षरता’ का अभिप्राय है – अक्षर का ज्ञान न होना। आज इक्कीसवी शताब्दी में भी जो निरक्षर हैं उन्हें कई हानियाँ उठानी पड़ती हैं। ऐसे कई उदाहरण देखने या सुनने को मिलते हैं जिसमें निरक्षर व्यक्ति से महाजन, जमीन्दार या कोई सरकारी अधिकारी गलत कागजात पर अंगूठा लगवाकर कभी उनकी जमीन हडप लेते हैं तो कभी सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित कर देते हैं।
निरक्षर मजदूरों से उनके मालिक या ठेकेदार ज़्यादा राशि पर हस्ताक्षर कराकर कम मजदूरी देते हैं। निरक्षरता के कारण व्यक्ति के अधिकार का हर कदम पर हनन होता है और वह चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता। यदि हम यह कहें कि निरक्षरता एक अभिशाप है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। सरकार, स्वयंसेवी संस्थाओं और शिक्षित वर्ग को यह ज़िम्मेदारी समझनी चाहिए कि निरक्षरता को समूल नष्ट करना है। निरक्षर लोगों का जीवन अंधकारमय बना हुआ है।