Kerala Plus One Hindi पात्र और चरित्रगत विशेषताएँ (Character and their Characteristic)
Points to Remember:
Activity 1
कुछ साल पुराने की बात है। जॉन और जॉर्ज अच्छे मित्र थे, वे दोनों अमेरिका की फौज में भरती हो गयी। उन दिनों युद्ध चल रहा था। एक दिन दोनों लडाई के मैदान से लौट रहे थे। दोनों बहुत थक गए थे। उस रात पहर देने का दायित्व जॉर्ज के ऊपर था। जॉन ने देखा कि जौर्ज के पैरों में काफी चोट पहुंचा था। वह ठीक तरह से खडा नहीं पा रहा था। जॉन को बडी दया आई। उसने रात को पहरा देने का निश्चय किया। जॉर्ज को आराम लेने का निर्देश देकर जॉन पहरा देने लगा। पर युद्ध में भाग लेकर जॉन भी काफी थक चुका था। पहरा देते-देते वह सो गया। अधिकारियों को पता चला। इस अपराध में जॉन को मृत्यु दण्ड दिया गया। जॉन बडा निडर व्यक्ति था। उसके अपने पिताजी को अभिवादन करते हुए एक पत्र लिखा। उसमें घटना का पूरा वर्णन किया था। यह पत्र अमेरिका के राष्ट्रपति लिकंन ने पढ़े। वे जॉन की वीरता, साहस और परोपकार से मुग्ध हुए और उसे आज़ाद कर दिया।
प्रश्न.
खंड़ के आधार पर जॉन की चरित्रगत विशेषताएँ लिखें
उत्तर :
जॉन वीर, साहसी एवं परोपकारी थे। साथ-साथ दयाल और निडर भी।
Activity 2
रमेश सड़क से चल रह्य था। अचानक उनकी दृष्टि एक व्यक्ति पर पड़ी, जो सड़क के किनारे लेट रहा था। पास जाकर देखा तो पता चला कि वह एक बूढ़ा आदमी है और उसके शरीर से खून बह रही है। पूछने पर कहा, किसी गाड़ी चली गयी है और वह घण्टों से वहीं पड़ रहा है। वहाँ से गुज़रे किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया है। रमेश धीरे से उसे उठाकर अस्पताल पहूँचाया। उसने उसके बाद पुलीस को भी सूचना देने का कार्य किया।
(किनारा – Side, खून – Blood, टकाराना – To crash, अस्पताल – Hospital)
प्रश्न.
रमेश की चरित्रगत विशेषताएँ लिखें।
उत्तर :
रमेश दयालू, परोपकारी और कर्तव्यनिष्ठ थे।
Activity 3
असम में एक बहुत बड़ा मंदिर था। वहाँ एक पूजारी की आवश्यकता थी। मंदिर के प्रबन्धक ने एक घोषण की-कल सुबह सबसे पहले मंदिर पहूँचनेवाला ब्राहमण पूजारी बनेगा। पूजा संबन्धी परीक्षा भी होगी। अगले दिन बड़े सबेरे बहुत से ब्राहमण मंदिर पहूँचे। दोपहर तक परीक्षा पूरी हुई। मंदिर का प्रबंधक परीक्षा का फल बतानेवाला था। तभी एक ब्राहमण वहाँ पहूँचा वह बहुत थका हुआ। प्रबन्धक ने पूछा-” तुम ने इतनी देरी क्यों कर दी? नोजवान ब्राहमण ने उत्तर दिया-” मैं सुबह-सुबह घर से निकला था। पर मंदिर के रास्ते में कई कंकड़-पत्थर थे। इससे यात्री लोग परेशान होते थे। मैं उसे हटा रहा था। इसलिए देरी हो गई। यह सुनकर प्रबन्धक ने कहा- “पूजारी वही है जिसके मन में दया हो। तुम परीक्षा में सफल निकले”।
प्रश्न.
खंड के आधार पर नौजवान के चरित्रगत विशेषताएँ लिखें।
उत्तर :
नौजवान ब्राहमण में महनत, परोपकार एवं दया को भावना थी।
Activity 4
प्राचीनकाल में भारत में शिबि नामक एक राजा रहत थे वे बड़े दानी और न्यायप्रिय थे। एक बार इंद्रदेवता और अग्नि ने उनकी न्यायप्रियता की परीक्षा करने का निश्चय किया। इन्द्र ने बाज का रूप लिया और अग्नि ने कबूतर का। राजा शिबि अपने सिंहासन पर बैठे कुछ सोच रहे थे। सहसा उनके पैरों पर एक कबूतर आ गिरा। एक बाज कबूतर की ओर झपट रहा था। राजा शिबि ने बाज को देखा। बाज ने कहा यह कबूतर मेरा भोजन है। में भूखा हूँ, आप अपने शरीर से उतना ही माँस काटकर दीजिए जितना इस कबूतर का वजन है। राजा ने अपना ही माँस काटकर पलड़े में दिया, लेकिन कबूतर वाला पलड़ा भारी ही रहा। अंत में राजा स्वयं पलड़े में बैठ गये आकाश से पुष्पवृष्टि होने लगे। देवताओं ने शिबि को आशिर्वाद दिया।
प्रश्न.
राजा शिबि की चरित्रगत विशेषताएँ लिखें।
उत्तर :
शिबि महाराज दानी, न्यायप्रिय एवं अक्लमंद राजा थे।