Kerala Plus One Hindi Textbook Answers Unit 1 Chapter 4 जुलूस
Textbook Activities – Textbook Page No.29
अनुवर्तो कार्य
समानार्थी शब्द नाटक में ढूँढ़ें :
दुश्य – 1 जनयात्रा, विरुद्ध, विक्रय, शासक, चिंता, निर्दय
दुश्य – 2 आज्ञा, वाणी, प्रकार, लक्ष्य, पालन, इच्छा, केवल, देश, हानि, विषाद, सहन
दुश्य – 3 घायल, अंत
दुश्य – 4 पास, धीरे, कुशल, ओजपूर्ण
उत्तर:
निम्नलिखित कथन किस पात्र का है?
प्रश्न 1.
हमें किसीसे लडाई करने की ज़रूरत नहीं।
उत्तर:
इब्राहिम अली।
प्रश्न 2.
हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पडा?
उत्तर:
बीरबल सिंह
प्रश्न 3.
जुलूस निकालने से स्वराज मिल जाता तो कबका मिल गया होता।
उत्तर:
दीनदयाल
प्रश्न 4.
हमारा बडा आदमी तो वही है जो लंगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमता है।
उत्तर:
मैकू
प्रश्न 5.
एक दिन तो मरना ही है, जो कछ होना है हो।
उत्तर:
शंभूनाथ
प्रश्न 6.
मर तो हम लोग रहे जिनकी रोटियों का ठिकाना नहीं।
उत्तर:
मैकू
प्रश्न 7.
हमारा मकसद इससे कहीं ऊँचा है।
उत्तर:
इब्राहिम अली
निम्नलिखित कथन इब्राहिम अली के चरित्र की किन-किन विशेषताओं को उजागर करता है?
प्रश्न 1.
हम दुकानें लूटने या मोटरें तोडने नहीं निकले हैं।
उत्तर:
अहिंसावादी
प्रश्न 2.
आप अपने सवारों, संगीनों और बन्दूकों के ज़ोर से हमें रोकना चाहते हैं – रोक लीजिए! मगर आप हमें लौटा नहीं सकते।
उत्तर:
साहसी, निडर
प्रश्न 3.
हमारे भाईबंद ऐसे हुक्मों की तामील करने से साफ इनकार कर देंगे।
उत्तर:
देशप्रेमी, साथियों पर भरोसा रखनेवाला
प्रश्न 4.
जिस दिन हम इस लक्ष्य पर पहूँच जाएँगे, उसी दिन स्वाराज्य सूर्य का उदय होगा।
उत्तर:
आत्मविश्वास रखनेवाला, देशप्रेमी।
प्रश्न 5.
उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर इब्राहिम अली के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
प्रेमचन्द की कहानी ‘जुलूस’ के इस नाट्य रूपांतर का प्रमुख पात्र है इब्राहिम अली। स्वराज की प्राप्ती
के लिए उनके नेतृत्व में जुलूस चल रहा है। इब्राहिम अली गाँधीजी से प्रभावित है। ‘हम दुकानें लूटने या मोटरें तोडने नहीं निकले हैं’ इब्राहिम अली के इस कथन से उनपर गाँधीजी के अहिंसा तत्व का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिलते हैं। इब्राहिम अली बहुत ही साहसी है और निडर भी। इसलिए बीरबलसिंह के हुक्म से वह डरते नहीं। वह अपने आदर्शी पर अडिंग रहने वाला है। इसलिए वह यातनाओं को झेलकर भी लक्ष्य की ओर अग्रसर है। इब्राहिम अली सच्चे देश प्रेमी है और स्वराज की प्राप्ति के लिए शहीद होने को भी तैयार है। वह आत्मविश्वास रखनेवाले हैं तथा साथियों पर विश्वास रखनेवाला भी।
जुलूस Exam Oriented Questions & Answers
प्रश्न 1.
नाटक के पात्र और उनकी कुछ विशेषताएँ:
उत्तर:
प्रश्न 2.
जुलूस नाट्यरूपांतर के इब्राहिम अली के ये कथन पढ़ें।
- हम दूकानें लुटने या मोटरें तोड़ने नहीं निकले है।
- आपको या किसी को हमें रोकने का कोई हक नहीं है।
- जिस दिन हम इस लक्ष्य पर पहुँच जाएँगे, उस दिन स्वराज्य सूर्य का उदय होगा।
कथन के आधार पर इब्राहिम अली के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
इब्राहिम अली पर गाँधीजी के आदर्शों का प्रभाव देख सकते हैं। वे अहिंसा पर विश्वास रखते हैं। हिंसा एवं लूट-पाट के द्वारा स्वतंत्रता की प्राप्ति उनका लक्ष्य नहीं है। वे सच्चे देशप्रेमी है। वह निडर है और देश की स्वतंत्रता केलिए जान तक देने को तैयार है। इब्राहिम अली लक्ष्य-प्राप्ति पर भरोसा रखनेवाले हैं, साथ ही स्वतंत्र भारत की सपने देखनेवाले भी।
प्रश्न 3.
सूचना : ‘जुलूस’ नाट्यरूपांतर के मैकू के ये कथन पढ़ें। (SCERT)
- अरे बड़े आदमी काहे जुलूस में आने लगे? अंग्रेजी राज में उन्हें कौन कमी?
- अब तो भाई, रूका नहीं जाता … मैं भी जुलूस में शामिल होऊँगा।
- हमारा बड़ा आदमी तो वही है जो लंगोटी बाँधे नंगे पाँव घूमता है।
कथनों के आधार पर मैकू के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
‘जुलूस’ नाट्यरूपांतर का मुख्य पात्र है मैकू। वह देशप्रेमी है। स्वराजियों के जलस का समर्थन करते
हैं और उसमें भाग लेना चाहते हैं। जब अन्य व्यापारी शंभुनाथ और दीनदयाल गाँधीजी के नेतृत्व पर शंका प्रकट करते हैं, तब मैकू उनका विरोध करता है। वह गाँधीजी के नेतृत्व पर भरोसा करता है और उन्हें नेता मानता है। स्वराजियों पर हुए लाटीचार्ज की खबर सुनकर वह भी जुलूसि में भास लेने को तैयार होता है। मैकू बहुत ही निडर है। ।
प्रश्न 4.
सूचना : ‘जुलूस’ नाट्यरूपांतर के शंभुनाथ के ये कथन पढ़ें। (SCERT)
- देख रहे हैं न दीनदयाल जी ! सबके सब काल के मुँह में जा रहे हैं।
- जिस काम में चार बड़े आदमी अगुआ होते हैं … सरकार पर भी उसकी धाक बैठ जाती है।
- एक दिन तो मरना ही है, जो कुछ होना है हो … आखिर वे लोग, सभी के लिए तो जान दे रहे हैं।
कथनों के आधार पर शंभुनाथ के चरित्र पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
चित्रामुद्गल के नाट्यरूपांतर ‘जुलूस’ का एक पात्र है शंभुनाथ। अंग्रेजों के विरुद्ध इब्राहिम अली के
नेतृत्व में चलानेवाले जुलूस को मानने को पहले वे तैयार नहीं होते। उनके अनुसार इस जुलूस का कोई नतीजा नहीं होता। सरकार पर इसका कोई असर नहीं होता। समाज के बड़े-बड़े लोग सरकार के पक्ष में है। यह सब होते हुए भी शंभुनाथ के चरित्र में देशप्रेमी की भावना नहीं है, ऐसा नहीं कह सकता शक्तिशाली अंग्रेजों के सामने ये स्वराजी क्या कर सकते हैं, इस पर उन्हें शंका है।
लेकिन अंत में जब स्वराजियों पर लाठी चार्ज की खबर फैल जाता है, तब शंभनाथ भी देशप्रेम की भावना से प्रभवित होकर जुलूस में भाग लेने को तैयार हो जाता है। मृत्यु की चिंता से वंचित होकर स्वराजियों के साथ मिलकर देश के लिए शहीद बनने को वह तैयार हो जाता है।
प्रश्न 5.
सूचना : जुलूस नाट्यरूपांतर के बीरबलसिंह का निम्नलिखित कथन पढ़िये और प्रश्न का उत्तर लिखिए।
बीरबलसिंह :
- हमारा हुक्म क्या आपको सुनाई नहीं पड़ा? (March 2015)
- फिर से सोच लें! बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा!
- सिपाहियो, लाठी चार्ज करो!
इस कथन के आधार पर बीरबलसिंह के चरित्र पर टिप्पणी लिखिए!
उत्तर:
बीरबलसिंह भारतीय है लेकिन अंग्रेज़ों के पिठू बन गए हैं। भारतीय होकर भी वह अंग्रेज़ पुलीस के साथ मिलकर स्वराजियों के जुलूस को रोकते हैं। वे देशप्रेमी नहीं है। उनके मन में अपने भाइओं के प्रति सहानुभूति नहीं है। वह बड़ा जल्लाद है।
जुलूस लेखक परिचय
चित्रा मुद्गल हिंदी के बहुमुखी प्रतिभावान साहित्याकारों में एक है। उनका जन्म 1944 को तमिलनाडु में हुआ था। स्त्री-पुरुष समभावना पर बल, नारी-उत्पीडन के प्रति विरोध आदि उनकी रचनाओं की प्रमुख विशेषताएँ हैं। ‘भूख’, ‘लपटें’, ‘मामला आगे बढ़ेगा’ आदि उनकी प्रमुख कहानियाँ हैं। ‘गिलिगडु’, ‘एक ज़मीन अपनी’ आदि श्रेष्ठ उपन्यास संग्रह हैं। अब चित्रामुद्गल सक्रिय रूप में विभिन्न नारी संघों की संचालिका के रूप में काम कर रही है। कहानी-सम्राट प्रेमचन्द्र की कहानी का, चित्रामुद्गल का नाट्य रूपांतर है ‘जुलूस’।
ഹിന്ദി സാഹിത്യത്തിലെ ബഹുമുഖ പ്രതിഭാശാലികളായ സാഹിത്യകാരന്മാരിലൊരാ ളാണ് ചിതാമുദ്ഗൽ. 1944 ൽ തമിഴ്നാട്ടിലാണ് ജനനം. സ്ത്രീ-പുരുഷ സമത്വം, സ്ത്രീകൾക്ക് നേരെയുള്ള അതിക്രമത്തിനെതിരായുള്ള പ്രതിഷേധം എന്നിവ സാഹിത്യകാരിയുടെ രചന കളുടെ പ്രധാന സവിശേഷതകളാണ്.’भूख’, ‘लपटें’,’मामला आगे बढ़ेगा’ अभीഎന്നിവ പ്രധാനപ്പെട്ട കഥാസംഗ്രഹങ്ങളാണ്. ഇപ്പോൾ നിരവധി സ്ത്രീപക്ഷ സംഘടനകളുടെ സജീവ പ്രവർത്ത കയായി പ്രവർത്തിച്ചു വരുന്നു. ഹിന്ദി സാഹിത്യത്തിലെ ശ്രേഷ്ഠകഥാകൃത്തായ പ്രേംചന്ദിന്റെ ‘जुलूस’എന്ന കഥയുടെ നാടകാവിഷ്കാരമാണ് ചിത്രാമുദ്ഗൽ എഴുതിയിട്ടുള്ള ഈ പാഠഭാഗം.
जुलूस शब्दार्थ word meanings
जुलूस Summary in Hindi
जुलूस नाट्य रूपांतर का सारांश
अंग्रेज़ देश छोडे नारे बुलंद करते हुए संग्राम सेनानियों का जुलूस आ रहा है। सड़क के किनारे वाले बाज़ार के व्यापारी शंभूनाथ, दीनदयाल, मैकू आदि जुलूस की चर्चा में मग्न है। दीनदयाल हँसी उठाकर कहते हैं कि जुलूस के द्वारा कैसे स्वतंत्रता मिलेगी, गाँधीजी भी अब बूढ़ा हो गया है, शहर के धनी लोग अब जुलूस में भाग लेते नहीं। इसलिए हम जैसे व्यापारी इसमें भाग लेने की आवश्यकता नहीं। “अंग्रेज़ी शासन में धनी लोगों को कोई दिक्कत नहीं।
वे तो बंगले में रहनेवाले हैं। हमारे नेता गाँधीजी है। वह देश की स्वतंत्रता के लिए मरने के लिए भी तैयार है ‘- यही मैकू का उत्तर रहा। घोडेवाले पुलीस दारोगा बीरबलसिंह स्वराजियों की जुलूस को रोकते हैं। दारोगा ने उनसे वापस जाने को कहा। लेकिन स्वराजियों ने कहा – हम कोई लूट-पाट करने केलिए नहीं आये हैं बल्कि हमारा उद्देश्य देश की स्वतंत्रता है। स्वराजियों के नेता इब्राहिम अली ने पुलीस से कहा – “आप हमें रोक नहीं सकते।” तब बीरबल सिंह ने कहा – डी.एस.पी. के निर्देशों का पालन मुझे करना है यदि आप लोग वापस न जाए तो लाठी – चार्ज करना पडेगा। लाठी – चार्ज में इब्राहिम अली के सिर पर चोट लगी और वह बुरी तरह घायल हुए।
इब्राहिम अली और अन्य स्वराजियों के घायल होने का समाचार शहर में संघर्ष पैदा करते हैं। इसी अवसर पर मैकू, दीनदयाल, शंभूनाथ आदि देशप्रेम से प्रभावित होकर जुलूस में भाग लेते हैं। इब्राहिम अली के घायल होने का समाचार पाकर आनेवाले भीड का नियंत्रण कैसे करेगा यह सोचकर बीरबल सिंह असमंजस में पड़ गया। भीड से जल्दी वापस जाने का निर्देश बीरबल सिंह ने दिया।
घायल हुए इब्राहिम अली को भीड़ के आने का पता लगता है। अंग्रेज़ों के लिए प्रयत्न करने वाला बीरबल सिंह जैसे भारतीय से अपने भाई स्वराजियों के लड़ने की अवस्था आए तो इब्राहिम अली ने बताया “हम भाई-भाई आपस में लडना नहीं चाहिए”। लडाई नहीं, मनोभाव में बदलाव ही हमारा लक्ष्य है। इसप्रकार सभी भारतीय इकट्ठे हो जाए तो ‘स्वराज’ नामक सूर्योदय साकार हो जाएगा। यही इब्राहिम अली की घोषणा थी।
जुलूस Summary in Malayalam
ലയാള പരിഭാഷ
ബ്രിട്ടീഷുകാർ രാജ്യം വിടുക എന്ന മുദ്രാവാക്യം മുഴക്കിക്കൊണ്ട് സമരസേനാനി കളുടെ ജാഥ കടന്നു വരുന്നു. റോഡരികിലുള്ള മാർക്കറ്റിലെ വ്യാപാരികളായ ശംഭുനാ ഥ്, ദീൻദയാൽ, മെകു എന്നിവർ ജാഥയെക്കുറിച്ചുള്ള ചർച്ചയിൽ മുഴുകിയിരിക്കുന്നു. ജാഥയിലൂടെ സ്വാതന്ത്ര്യം എങ്ങനെ ലഭിക്കുമെന്നും, ഗാന്ധിജി പോലും വൃദ്ധനായെന്നും, പട്ടണത്തിലെ മാന്യരായ ആളുകളാരും ജാഥയിൽ പങ്കെടുക്കുന്നില്ലെന്നും അങ്ങനെയുള്ള സാഹചര്യത്തിൽ
വ്യാപാരികളായ നമ്മൾ ഇതിൽ പങ്കെടുക്കേണ്ടതില്ലെന്നും പരിഹാസ ത്തോടെ പറയുന്ന ദീൻദയാലിനോട് ധനികർക്കൊന്നും ബിട്ടീഷ്
ഭരണത്തിൽ ഒരു പ്രയാ സവുമില്ലെന്നും അവർ മണിമന്ദിരങ്ങളിൽ താമസിക്കുന്നവരാണെന്നും മൈകു മറുപടി നൽകുന്നു. ഞങ്ങളുടെ നേതാവ് ഗാന്ധിജിയാണെന്നും അദ്ദേഹം രാജ്യത്തിന്റെ സ്വാത ന്ത്യത്തിന് വേണ്ടി മരണം വരിക്കാൻ പോലും തയ്യാറാണെന്നും മൈകു ദീൻദയാലിന്റെ പരിഹാസത്തിന് മറുപടി നൽകുന്നു.
കുതിരപ്പുറത്തെത്തിയ പോലീസ് ഇൻസ്പെക്ടർ ബീർബൽസിങ്ങ് സ്വരാജികളുടെ ജാഥ തടയുന്നു. പിരിഞ്ഞു പോകാൻ ആവശ്യപ്പെട്ട പോലീസിനോട് ഞങ്ങൾ യാതൊരു വിധ ലഹളയുണ്ടാക്കാനോ കൊള്ളയടിക്കാനോ വന്നതല്ലെന്നും ഞങ്ങളുടെ ഉദ്ദേശം രാഷ്ട ത്തിന്റെ സ്വാതന്ത്ര്യമാണെന്നും അറിയിക്കുന്നു. സ്വരാജികളുടെ നേതാവായ ഇബ്രാഹിം അലി താങ്കൾക്ക് ഞങ്ങളെ തടയാൻ സാധിക്കില്ലെന്നും
പോലീസിനെ അറിയിക്കുന്നു. ഡി.എസ്, പി. യുടെ നിർദ്ദേശം എനിക്ക് പാലിക്കേണ്ടതുണ്ടെന്നും പിരിഞ്ഞു പോയില്ലെ ങ്കിൽ ലാത്തിച്ചാർജ് നടത്തേണ്ടിവരുമെന്നും ബീർബൽ സിംഗ് അറിയിക്കുന്നു. സ്വരാജി കൾ പിരിഞ്ഞു പോകാഞ്ഞതിനെ തുടർന്നുണ്ടായ ലാത്തിച്ചാർജിൽ ഇബ്രാഹിം അലി യുടെ തലയ്ക്ക് കുതിരകുളമ്പടികൊണ്ട് ഗുരുതരമായി പരിക്കേൽക്കുന്നു.
ഇബ്രാഹിം അലിയ്ക്കും നിരവധി സ്വരാജികൾക്കും പരിക്കറ്റ് വാർത്തയോടെ നഗ രത്തിൽ സംഘർഷം ആരംഭിക്കുന്നു. ഈ സാഹചര്യത്തിൽ മൈകുവും, ദീൻദയാലും, ശംഭുനാഥും ദേശസ്നേഹത്താൽ ജാഥയിൽ പങ്കാളികളാകാൻ തയ്യാറാകുന്നു. ഡി.എസ്. പി. സാഹബ് പോയതോടെ അഹിംസാവതധാരികളായ സ്വരാജികളെ എങ്ങനെ നേരി ടും, ഇബ്രാഹിം അലിക്ക് പരിക്കേറ്റ വിവരമറിഞ്ഞ് എത്തിക്കൊണ്ടിരിക്കുന്ന രോഷാകുല രായ ജനക്കൂട്ടത്തെ എങ്ങനെ നേരിടും എന്നോർത്ത് ബീർബൽസിംഹ് ആശയകുഴപ്പ ത്തിലാകുന്നു. ജനക്കൂട്ടത്തോട് സാവധാനം പിരിഞ്ഞുപോകാൻ ആവശ്യപ്പെടുന്നു.
– പരിക്കേറ്റ് കിടക്കുകയായിരുന്ന ഇബ്രാഹിം അലി ജനക്കൂട്ടം രോഷാകുലരായി എത്തുന്ന വിവരം അറിയുന്നു. ബ്രിട്ടീഷ്കാർക്ക് വേണ്ടി പ്രയത്നിക്കുന്ന ബീർബൽസിംഹ് പോലുള്ള ഇന്ത്യാക്കാരനെ സ്വന്തം സഹോദരങ്ങൾ (സ്വരാജികൾ) നേരിടുമെന്ന അവസ്ഥ വന്നപ്പോൾ ഇബാഹിം അലി നമ്മൾ സഹോദരങ്ങൾ പരസ്പരം ഏറ്റുമുട്ടരുതെന്നും ആവ ശ്യപ്പെടുന്നു. ഏറ്റുമുട്ടലല്ല മനോഭാവത്തിൽ മാറ്റം ഉണ്ടാകുകയാണ് ലക്ഷ്യമെന്നും അങ്ങനെ എല്ലാ ഇന്ത്യാക്കാരും ഒന്നുചേർന്നാൽ സ്വരാജ്യം എന്ന സൂര്യോദയം ഉണ്ടാകുമെന്നും ഇബ്രാഹിം അലി പ്രഖ്യാപിക്കുന്നു.
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