Plus One Hindi संक्षेपण (Summarising)

Kerala Plus One Hindi संक्षेपण (Summarising)

HSSlive Plus One Hindi संक्षेपण (Summarising) 1Points to Remember:

Plus One Hindi संक्षेपण (Summarising) 1

Activity 1
ताजपूर एक छोटा-सा गाँव है। उस गाँव में बहुत – से किसान रहते थे। सबके अपने-अपने खेत थे। वे अकेले-अकेले खेती करते थे। लेकिन खेती उनके लिए लाभदायक नहीं रही। उन्हें गरीबी में जीवन बिताना पड़ा। आखिर उन्होने खेती छोड़कर अन्य काम ढूँढ़ने का निश्चय किया। उसी गाँव में चमनलाल नाम का एक युवा किसान था। वह बड़ा बुद्धिमान था। उसने किसानों को एकत्रित किया और ‘खेती संघ’ बनाया। फिर सारे खेतों को मिलाकर खेती करने का निश्चय किया। किसान संतुष्ट हुए। सब मिलकर कठिन परिश्रम करने लगे। उन्हें अच्छी फसल मिलने लगी। उनकी गरीबी दूर हुई। सब सुखपूर्वक जीवन बिताने लगे। ताजपूर भी देश का आदर्श गाँव बन गया।
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प्रश्न.
खंड़ का एक तिहाई में संक्षेपण करें।
उत्तर :
संगठन में शक्ति ताजपुर गाँव के किसानों के लिए खेती लाभदायक नहीं रही। यहाँ के चमनलाल नामक किसान अन्य किसानों को एकत्रित करके खेती संघ बनाया। सारे खेतों को मिलाकर खेती करने का

Activity 2
साहित्य का आधार जीवन है। इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनारें और गंबद बनते हैं लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी रहती है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। जीवन परमात्मा को जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न-द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लम्बे-चौड़े भवन में। लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊंचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शना साहित्य का उद्देश्य है।
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प्रश्न.
इस खंड का संक्षेपण करें।
उत्तर:
साहित्य और जीवन साहित्य का आधार जीवन है। साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। मनुष्य जीवन पर्यंत आनन्द की खोज में है। उन्हें कई भौतिक वस्तुओं से यह आनंद प्राप्त होती है। साहित्य के आनन्द का आधार सुन्दर और सत्य है। सत्य और सुन्दर से उत्पन्न आनंद को दर्शना साहित्य का उद्देश्य है।

Activity 3
आज के युग में जहाँ जाएँ, जिधर जाएँ, जहाँ रहें, जैसे रहे, इन विज्ञापनों की लपेट से नहीं बच सकते। घर में बंद होकर बैठ जाएँ तो विज्ञापन रोशनदानों के रास्ते हवा में तैरते आते हैं – क्या आप दाँत साफ किए हैं? याद रखिए, दाँतों को रोगों से बचाने का एक साधन है पेप्सोडेन्ट टूथपेस्ट ! घर से निकले, तो हर दोराहे, चौराहे और सड़क के खंभे पर विज्ञापन। अखबार उठाएँ, विज्ञापन। पुस्तक उठाएँ, विज्ञापन। बस में बैठे, विज्ञापन – क्या आपका दिल कमज़ोर है? क्या आपके सिर के बाल झड़ रहे है? क्या आपके घर में झगड़ा होता है? विज्ञापन-कला जिस तेजी से उन्नति कर रही है, उसमें भविष्य के कुछ संकेत छिपे हैं। लगता है ऐसा युग आनेवाला है जब शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और साहित्य, इनका उपयोग केवल विज्ञापन कला केलिए ही रह जाएगा। आनेवाले युग में यह कला दो कदम और आगे बढ़ जाएगी।
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प्रश्न.
इस खंड का संक्षेपण करें।
उत्तर :
विज्ञापन – कला आज के युग में हम विज्ञापन के प्रभाव से बच नहीं सकते। शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति और साहित्य सभी क्षेत्रों में विज्ञापन कला के चमत्कार है। विज्ञापन-कला तेज़ी से उन्नति की ओर अग्रसर हो रहाहै।

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