• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • RS Aggarwal Solutions
    • RS Aggarwal Class 10 Solutions
    • RS Aggarwal Class 9 Solutions
    • RS Aggarwal Solutions Class 8
    • RS Aggarwal Solutions Class 7
    • RS Aggarwal Solutions Class 6
  • ICSE Solutions
    • ICSE Solutions for Class 10
    • ICSE Solutions for Class 9
    • ICSE Solutions for Class 8
    • ICSE Solutions for Class 7
    • ICSE Solutions for Class 6
  • Selina Solutions
  • ML Aggarwal Solutions
  • ISC & ICSE Papers
    • ICSE Previous Year Question Papers Class 10
    • ISC Previous Year Question Papers
    • ICSE Specimen Papers 2020 for Class 10
    • ICSE Specimen Papers 2020 for Class 9
    • ISC Specimen Papers 2020 for Class 12
    • ISC Specimen Papers 2020 for Class 11
    • ICSE Time Table 2020 Class 10
    • ISC Time Table 2020 Class 12
  • Maths

A Plus Topper

Improve your Grades

  • CBSE Sample Papers
  • HSSLive
    • HSSLive Plus Two
    • HSSLive Plus One
    • Kerala SSLC
  • Exams
  • NCERT Solutions for Class 10 Maths
  • NIOS
  • Chemistry
  • Physics
  • ICSE Books

Chhand in Hindi (छन्द) | छंद की परिभाषा, प्रकार, भेद और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण,

October 5, 2020 by Prasanna

Chhand in Hindi

In this page we are providing all Hindi Grammar topics with detailed explanations it will help you to score more marks in your exams and also write and speak in the Hindi language easily.

छंद – Chhand Ki Paribhasha, Prakar, Bhed, aur Udaharan (Examples) – Hindi Grammar

छन्द जिस रचना में मात्राओं और वर्णों की विशेष व्यवस्था तथा संगीतात्मक लय और गति की योजना रहती है, उसे ‘छन्द’ कहते हैं। ऋग्वेद के पुरुषसूक्त के नवम् छन्द में ‘छन्द’ की उत्पत्ति ईश्वर से बताई गई है। लौकिक संस्कृत के छम्दों का जन्मदाता वाल्मीकि को माना गया है। आचार्य पिंगल ने ‘छन्दसूत्र’ में छन्द का सुसम्बद्ध वर्णन किया है, अत: इसे छन्दशास्त्र का आदि ग्रन्थ माना जाता है। छन्दशास्त्र को ‘पिंगलशास्त्र’ भी कहा जाता है। हिन्दी साहित्य में छन्दशास्त्र की दृष्टि से प्रथम कृति ‘छन्दमाला’ है। छन्द के संघटक तत्त्व आठ हैं, जिनका वर्णन निम्नलिखित है-

  1. चरण छन्द कुछ पंक्तियों का समूह होता है और प्रत्येक पंक्ति में समान वर्ण या मात्राएँ होती हैं। इन्हीं पंक्तियों को ‘चरण’ या ‘पाद’ कहते हैं। प्रथम व तृतीय चरण को ‘विषम’ तथा दूसरे और चौथे चरण को ‘सम’ कहते हैं।
  2. वर्ण ध्वनि की मूल इकाई को ‘वर्ण’ कहते हैं। वर्णों के सुव्यवस्थित समूह या समुदाय को ‘वर्णमाला’ कहते हैं। छन्दशास्त्र में वर्ण दो प्रकार के होते हैं-‘लघु’ और ‘गुरु’।
  3. मात्रा वर्गों के उच्चारण में जो समय लगता है, उसे ‘मात्रा’ कहते हैं। लघु वर्णों की मात्रा एक और गुरु वर्णों की मात्राएँ दो होती हैं। लघु को तथा गुरु को 5 द्वारा व्यक्त करते हैं।
  4. क्रम वर्ण या मात्रा की व्यवस्था को ‘क्रम’ कहते हैं; जैसे-यदि “राम कथा मन्दाकिनी चित्रकूट चित चारु” दोहे के चरण को ‘चित्रकूट चित चारु, रामकथा मन्दाकिनी’ रख दिया जाए तो सारा क्रम बिगड़कर सोरठा का चरण हो जाएगा।
  5. यति छन्दों को पढ़ते समय बीच-बीच में कुछ रुकना पड़ता है। इन्हीं विराम स्थलों को ‘यति’ कहते हैं। सामान्यतः छन्द के चार चरण होते हैं और प्रत्येक चरण के अन्त में ‘यति’ होती है। 6. गति ‘गति’ का अर्थ ‘लय’ है। छन्दों को पढ़ते समय मात्राओं के लघु अथवा दीर्घ होने के कारण जो विशेष स्वर लहरी उत्पन्न होती है, उसे ही ‘गति’ या ‘लय’ कहते हैं।
  6. तुक छन्द के प्रत्येक चरण के अन्त में स्वर-व्यंजन की समानता को ‘तुक’ कहते हैं। जिस छन्द में तुक नहीं मिलता है, उसे ‘अतुकान्त’ और जिसमें तुक मिलता है, उसे ‘तुकान्त’ छन्द कहते हैं।
  7. गण तीन वर्गों के समूह को ‘गण’ कहते हैं। गणों की संख्या आठ है-यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, भगण, नगण और सगण। इन गणों के नाम रूप ‘यमातराजभानसलगा’ सूत्र द्वारा सरलता से ज्ञात हो जाते हैं। उल्लेखनीय है कि इन गणों के अनुसार मात्राओं का क्रम वार्णिक वृत्तों या छन्दों में होता है, मात्रिक छन्द इस बन्धन से मुक्त हैं। गणों के नाम, सूत्र चिह्न और उदाहरण इस प्रकार हैं-
  • गण – सूत्र – चिह्न – उदाहरण
  • यगण – यमाता – ।ऽऽ – बहाना
  • मगण – मातारा – ऽऽऽ – आज़ादी
  • तगण – ताराज – ऽऽ। – बाज़ार
  • रगण – राजभा – ऽ।ऽ – नीरजा
  • जगण – जभान – ।ऽ। – महेश
  • भगण – भानस – ऽ।। – मानस
  • नगण – नसल – ।।। – कमल
  • सगण – सलगा – ।।ऽ – ममता

छन्द के प्रकार

छन्द चार प्रकार के होते हैं-

  • वर्णिक
  • मात्रिक
  • उभय
  • मुक्तक या स्वच्छन्द।

मुक्तक छन्द को छोड़कर शेष-वर्णिक, मात्रिक और उभय छन्दों के तीन-तीन उपभेद हैं, ये तीन उपभेद निम्न प्रकार है-

  • सम छन्द के चार चरण होते हैं और चारों की मात्राएँ या वर्ण समान ही होते हैं; जैसे–चौपाई, इन्द्रवज्रा आदि
  • अर्द्धसम छन्द के पहले और तीसरे तथा दूसरे और चौथे चरणों की मात्राओं या वर्गों में परस्पर समानता होती है जैसे-दोहा, सोरठा आदि।
  • विषम नाम से ही स्पष्ट है। इसमें चार से अधिक, छ: चरण होते हैं और वे एक समान (वजन के) नहीं होते; जैसे-कुण्डलियाँ, छप्पय आदि।

छन्दों का विवेचन

वर्णिक छन्द

जिन छन्दों की रचना वर्णों की गणना के आधार पर की जाती है उन्हें वर्णवृत्त या वर्णिक छन्द कहते हैं। प्रतियोगिता परीक्षाओं की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण वर्णिक छन्दों का विवेचन इस प्रकार है-

1. इन्द्रवज्रा
इसके प्रत्येक चरण में ग्यारह वर्ण होते हैं, पाँचवें या छठे वर्ण पर यति होती है। इसमें दो तगण (ऽऽ।, ऽऽ।), एक जगण (।ऽ।) तथा अन्त में दो गुरु (ऽऽ) होते हैं;

जैसे-
ऽ ऽ ।ऽ ऽ। ।ऽ।। ऽ
“जो मैं नया ग्रन्थ विलोकता हूँ,
भाता मुझे सो नव मित्र सा है।
देखू उसे मैं नित सार वाला,
मानो मिला मित्र मुझे पुराना।”

2. उपेन्द्रवज्रा
इसके भी प्रत्येक चरण में ग्यारह वर्ण होते हैं, पाँचवें व छठे वर्ण पर यति होती है। इसमें जगण (।ऽ।), तगण (ऽऽ।), जगण (।ऽ।) तथा अन्त में दो गुरु (ऽऽ) होते हैं;

जैसे-
।ऽ । ऽऽ । ऽ। ऽऽ
“बड़ा कि छोटा कुछ काम कीजै।
परन्तु पूर्वापर सोच लीजै।।
बिना विचारे यदि काम होगा।
कभी न अच्छा परिणाम होगा।।”

विशेष इन्द्रवज्रा का पहला वर्ण गुरु होता है, यदि इसे लघु कर दिया जाए तो ‘उपेन्द्रवज्रा’ छन्द बन जाता है।

3. वसन्ततिलका
इस छन्द के प्रत्येक चरण में चौदह वर्ण होते हैं। वर्णों के क्रम में तगण (ऽऽ।), भगण (ऽ।।), दो जगण (।ऽ।, ।ऽ।) तथा दो गुरु (ऽऽ) रहते हैं;

जैसे-
ऽ ऽ ।ऽ ।।। ऽ ।।ऽ।ऽ ऽ
“भू में रमी शरद की कमनीयता थी।
नीला अनंत नभ निर्मल हो गया था।।”

4. मालिनी मजुमालिनी
इस छन्द में । ऽ वर्ण होते हैं तथा आठवें व सातवें वर्ण पर यति होती है। वर्गों के क्रम में दो नगण (।।, ।।।), एक मगण (ऽऽऽ) तथा दो यगण (।ऽऽ, ।ऽऽ) होते हैं;

जैसे-
।। ।। ।। ऽऽ ऽ। ऽऽ ।ऽ ऽ
“प्रिय पति वह मेरा, प्राण प्यारा कहाँ है?
दुःख जलधि में डूबी, का सहारा कहाँ है?
अब तक जिसको मैं, देख के जी सकी हूँ
वह हृदय हमारा, नेत्र-तारा कहाँ है?”

5. मन्दाक्रान्ता
इस छन्द के प्रत्येक चरण में एक मगण
(ऽऽऽ), एक भगण (ऽ।।), एक नगण (।।), दो तगण (ऽऽ।, ऽऽ।) तथा दो गुरु (ऽऽ) मिलाकर 17 वर्ण होते हैं। चौथे, छठवें तथा सातवें वर्ण पर यति होती है;

जैसे-
ऽऽ ऽऽ ।। ।। ।ऽ ऽ ।ऽ ऽ। ऽऽ
“तारे डूबे तम टल गया छा गई व्योम लाली।
पंछी बोले तमचुर जगे ज्योति फैली दिशा में।”

6. शिखरिणी
इस छन्द के प्रत्येक चरण में एक यगण (।ऽऽ), एक मगण (ऽऽऽ), एक नगण (।।।), एक सगण (।।ऽ), एक भगण (ऽ।।), एक लघु (।) एवं एक गुरु (ऽ) होता है। इसमें 17 वर्ण तथा छः वर्णों पर यति होता है;

जैसे-
।ऽऽ ऽऽ ऽ ।।। ।।ऽ ऽ ।।। ऽ
“अनूठी आभा से, सरस सुषमा से सुरस से।
बना जो देती थी, वह गुणमयी भू विपिन को।।
निराले फूलों की, विविध दल वाली अनुपम।
जड़ी-बूटी हो बहु फलवती थी विलसती।।”

7. वंशस्थ
इस छन्द के प्रत्येक चरण में एक जगण (।ऽ।), एक तगण (ऽ1), एक जगण (।ऽ1) और एक रगण (ऽ) के क्रम में 12 वर्ण होते हैं;

जैसे-
। ऽ।ऽ ऽ ।।ऽ ऽ। ऽ
“न कालिमा है मिटती कपाल की।
न बाप को है पड़ती कुमारिक।
प्रतीति होती यह थी विलोक के,
तपोमयी सी तनया तमारि की।।”

8. द्रुतविलम्बित
इस छन्द के प्रत्येक चरण में एक नगण (।।।), दो भगण (ऽ।।, ऽ।।) और एक रगण (ऽ।ऽ) के क्रम से 12 वर्ण होते हैं, चार-चार वर्णों पर यति होती है;

जैसे-
।। ऽ ।।ऽ। ।ऽ। ऽ
“दिवस का अवसान समीप था
गगन था कुछ लोहित हो चला।
तरुशिखा पर थी अब राजती,
कमलनी कुल वल्लभ की प्रभा।।”

9. मत्तगयन्द (मालती)
इस छन्द के प्रत्येक चरण में सात भगण (ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।, ऽ।।) और अन्त में दो गुरु (ऽ) के क्रम से 23 वर्ण होते हैं;

जैसे-
ऽ। ।ऽ। ।ऽ। ।ऽ। ।ऽ। ऽ। ।ऽ।। ऽऽ
“सेस महेश गनेस सुरेश, दिनेसहु जाहि निरन्तर गावें।
नारद से सुक व्यास रटैं, पचि हारे तऊ पुनि पार न पावें।।”

10. सुन्दरी सवैया
इस छन्द के प्रत्येक चरण में आठ सगण (।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ, ।।ऽ) और अन्त में एक गुरु (ऽ) मिलाकर 25 वर्ण होते हैं;

जैसे-
।। ऽ।। ऽ।। ऽ। ।ऽ।। ऽ। ।ऽ। ।ऽऽ
“पद कोमल स्यामल गौर कलेवर राजन कोटि मनोज लजाए।
कर वान सरासन सीस जटासरसीरुह लोचन सोन सहाए।
जिन देखे रखी सतभायहु तै, तुलसी तिन तो मह फेरि न पाए।
यहि मारग आज किसोर वधू, वैसी समेत सुभाई सिधाए।।”

मात्रिक छन्द

यह छन्द मात्रा की गणना पर आधृत रहता है, इसलिए इसका नामक मात्रिक छन्द है। जिन छन्दों में मात्राओं की समानता के नियम का पालन किया जाता है किन्तु वर्णों की समानता पर ध्यान नहीं दिया जाता, उन्हें मात्रिक छन्द कहा जाता है। मात्रिक छन्दों का विवेचन इस प्रकार है-

1. चौपाई
यह सममात्रिक छन्द है, इसमें चार चरण होते हैं। इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं। चरण के अन्त में दो गुरु होते हैं;
जैसे-
ऽ।। ।। ।। ।।। ।।ऽ ।।। ।ऽ। ।।। ।।ऽऽ = 16 मात्राएँ – “बंदउँ गुरु पद पदुम परागा, सुरुचि सुवास सरस अनुरागा। अमिय मूरिमय चूरन चारू, समन सकल भवरुज परिवारु।।”

2. रोला (काव्यछन्द)
यह चार चरण वाला मात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं तथा । व 13 मात्राओं पर ‘यति’ होती है। इसके चारों चरणों की ग्यारहवीं मात्रा लघु रहने पर, इसे काव्यछन्द भी कहते हैं;

जैसे-
ऽ ऽऽ ।। ।।। ।ऽ ऽ ।ऽ ।।। ऽ = 24 मात्राएँ
हे दबा यह नियम, सृष्टि में सदा अटल है।
रह सकता है वही, सुरक्षित जिसमें बल है।।
निर्बल का है नहीं, जगत् में कहीं ठिकाना।
रक्षा साधक उसे, प्राप्त हो चाहे नाना।।

3. हरिगीतिका
यह चार चरण वाला सममात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 28 मात्राएँ होती हैं, अन्त में लघु और गुरु होता है तथा 16 व 12 मात्राओं पर यति होती है;
जैसे-
।। ऽ। ऽ।। ।।। ऽ।। ।।। ऽ।। ऽ।ऽ = 28 मात्राएँ।
“मन जाहि राँचेउ मिलहि सोवर सहज सुन्दर साँवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेह जानत राव।।
इहि भाँति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहिं पूजि पुनि पुनि मुदित मन मन्दिर चली।।”

अथवा

‘हरिगीतिका’ शब्द चार बार लिखने से उक्त छन्द का एक चरण बन जाता है;

जैसे-
।।ऽ।ऽ ।।ऽ।ऽ ।।ऽ।ऽ ।।ऽ।ऽ = 28 मात्राएँ

हरिगीतिका, हरिगीतिका, हरिगीतिका, हरिगीतिका

4. दोहा
यह अर्द्धसममात्रिक छन्द है। इसमें 24 मात्राएँ होती हैं। इसके विषम चरण (प्रथम व तृतीय) में 13-13 तथा सम चरण (द्वितीय व चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं;

जैसे-
ऽऽ ।। ऽऽ ।ऽ ऽऽ ऽ।। ऽ। = 24 मात्राएँ
“मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।
जा तन की झाँईं परे, स्याम हरित दुति होय।।”

5. सोरठा
यह भी अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। यह दोहा का विलोम है, इसके प्रथम व तृतीय चरण में ।-। और द्वितीय व चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं;

जैसे-
।। ऽ।। ऽ ऽ। ऽ। ।ऽऽ ।।।ऽ = 24
मात्राएँ “सुनि केवट के बैन, प्रेम लपेटे अटपटे।
बिहँसे करुना ऐन, चितइ जानकी लखन तन।।”

6. उल्लाला
इसके प्रथम और तृतीय चरण में ।ऽ-।ऽ मात्राएँ होती हैं तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती हैं;

जैसे-
हे शरणदायिनी देवि तू, करती सबका त्राण है।
हे मातृभूमि! संतान हम, तू जननी, तू प्राण है।

7. छप्पय
यह छः चरण वाला विषम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम चार चरण रोला के तथा । अन्तिम दो चरण उल्लाला के होते हैं;

जैसे-
“नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट मेखला रत्नाकर है।
नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारा मण्डल है।
बन्दी जन खगवृन्द शेष फन सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद हैं बलिहारी इस वेष की।
हे मातृभूमि तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की।।”

8. बरवै
बरवै के प्रथम और तृतीय चरण में 12 तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में 7 मात्राएँ होती हैं, इस प्रकार इसकी प्रत्येक पंक्ति में 19 मात्राएँ होती हैं;

जैसे-
।।ऽ ऽ। ऽ। ।। ऽ। । ऽ। = 19
तुलसी राम नाम सम मीत न आन।
जो पहुँचाव रामपुर तनु अवसान।।

9. गीतिका
गीतिका में 26 मात्राएँ होती हैं, 14-12 पर यति होती है। चरण के अन्त में लघु-गुरु होना आवश्यक है;

जैसे-
ऽ। ऽऽ 5 ।ऽऽ ।ऽ |।ऽ ।ऽ = 26 मात्राएँ
साधु-भक्तों में सुयोगी, संयमी बढ़ने लगे।
सभ्यता की सीढ़ियों पै, सूरमा चढ़ने लगे।।
वेद-मन्त्रों को विवेकी, प्रेम से पढ़ने लगे।
वंचकों की छातियों में शूल-से गड़ने लगे।

10. वीर (आल्हा)
वीर छन्द के प्रत्येक चरण में 16, ।ऽ पर यति देकर 31 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में । गुरु-लघु होना आवश्यक है;

जैसे-
।। ।। ऽ ऽऽ। ।।। ।। ऽ। ।ऽ ऽ ऽ।। ऽ। = 31 मात्राएँ
“हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह।
एक पुरुष भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय-प्रवाह।।”

11. कुण्डलिया
यह छ: चरण वाला विषम मात्रिक छन्द है। इसके प्रत्येक चरण में 24 मात्राएँ होती हैं। इसके प्रथम दो चरण दोहा और बाद के चार चरण रोला के होते हैं। ये दोनों छन्द कुण्डली के रूप में एक दूसरे से गुंथे रहते हैं, इसीलिए इसे कुण्डलिया छन्द कहते हैं;

जैसे-
“पहले दो दोहा रहैं, रोला अन्तिम चार।
रहें जहाँ चौबीस कला, कुण्डलिया का सार।
कुण्डलिया का सार, चरण छः जहाँ बिराजे।
दोहा अन्तिम पाद, सरोला आदिहि छाजे।
पर सबही के अन्त शब्द वह ही दुहराले।
दोहा का प्रारम्भ, हुआ हो जिससे पहले।”

Chhand in Hindi Worksheet Exercise with Answers PDF

प्रश्न 1.
हिन्दी साहित्य में छन्दशास्त्र की दृष्टि से पहली कृति कौन है?
(a) छन्दमाला (b) छन्दसार (c) छन्दोर्णव पिंगल (d) छन्दविचार
उत्तर :
(a) छन्दमाला

प्रश्न 2.
छन्द पढ़ते समय आने वाले विराम को कहते हैं
(a) गति (b) यति (c) तुक (d) गण
उत्तर :
(b) यति

प्रश्न 3.
गणों की सही संख्या है।
(a) छ: (b) आठ (c) दस (d) बारह
उत्तर :
(b) आठ

प्रश्न 4.
दोहा और सोरठा किस प्रकार के छन्द हैं?
(a) समवर्णिक (b) सममात्रिक (c) अर्द्धसममात्रिक (d) विषम मात्रिक
उत्तर :
(c) अर्द्धसममात्रिक

प्रश्न 5.
दोहा और रोला के संयोग से बनने वाला छन्द है (पी.जी.टी. हिन्दी परीक्षा 20।)
(a) पीयूष वर्ष (b) तोटक (c) छप्पय (d) कुण्डलिया
उत्तर :
(d) कुण्डलिया

प्रश्न 6.
बन्दउँ गुरुपद कंज कृपा सिन्धु नररूप हरि।
महामोहतम पुंज, जासु वचन रविकर निकर।।
उपरोक्त पंक्तियों में छन्द है (टी.जी.टी. परीक्षा 2011)
(a) सोरठा (b) दोहा (c) बरवै (d) रोला
उत्तर :
(a) सोरठा

प्रश्न 7.
“कहते हुए यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गए। हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए।। उपरोक्त पंक्तियों में छन्द है।
(a) बरवै (b) चौपाई (c) गीतिका (d) सोरठा
उत्तर :
(c) गीतिका

प्रश्न 8.
सेस महेश गणेश सुरेश, दिनेसह जाहि निरन्तर गावें।
नारद से सुक व्यास रटैं, पचि हारे तऊ पुनि पार न पावै।।
उपरोक्त पंक्तियों में छन्द है
(a) मालती (b) वंशस्थ (c) शिखरिणी (d) मन्दाक्रान्ता
उत्तर :
(a) मालती

प्रश्न 9.
शिल्पगत आधार पर दोहे का उल्टा छन्द है (उपनिरीक्षक सीधी भर्ती परीक्षा 2014)
(a) रोला (b) चौपाई (c) सोरठा (d) बरवै
उत्तर :
(c) सोरठा

प्रश्न 10.
चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं। (उपनिरीक्षक सीधी भर्ती परीक्षा 2014)
(a) 11
(c) 13
(d) 16
(b) 13
उत्तर :
(d) 16

Filed Under: Hindi Grammar

Primary Sidebar

  • RS Aggarwal Solutions
  • RS Aggarwal Solutions Class 10
  • RS Aggarwal Solutions Class 9
  • RS Aggarwal Solutions Class 8
  • RS Aggarwal Solutions Class 7
  • RS Aggarwal Solutions Class 6
  • ICSE Solutions
  • Selina ICSE Solutions
  • Concise Mathematics Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Physics Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Chemistry Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Biology Class 10 ICSE Solutions
  • Concise Mathematics Class 9 ICSE Solutions
  • Concise Physics Class 9 ICSE Solutions
  • Concise Chemistry Class 9 ICSE Solutions
  • Concise Biology Class 9 ICSE Solutions
  • ML Aggarwal Solutions
  • ML Aggarwal Class 10 Solutions
  • ML Aggarwal Class 9 Solutions
  • ML Aggarwal Class 8 Solutions
  • ML Aggarwal Class 7 Solutions
  • ML Aggarwal Class 6 Solutions
  • HSSLive Plus One
  • HSSLive Plus Two
  • Kerala SSLC

Recent Posts

  • Cyber-bullying Essay | Essay on Cyber-bullying for Students and Children in English
  • Income Inequality Essay | Essay on Income Inequality for Students and Children in English
  • Essay on Leadership Qualities | Leadership Qualities Essay for Students and Children in English
  • The Impact of Drug Legalization on the Economy Essay | Essay on Drug Legalization for Students and Children
  • Critical Reflection Essay | Essay on Critical Reflection for Students and Children in English
  • Essay on Faith | Faith Essay for Students and Children in English
  • War on Drugs Essay | Essay on War on Drugs for Students and Children in English
  • Engineering Essay | Essay on Engineering for Students and Children in English
  • Beauty Definition Essay | Essay on Beauty Definition for Students and Children in English
  • How to Tame a Wild Tongue Essay | Essay on How to Tame a Wild Tongue for Students and Children in English
  • Career Aspirations Essay | Essay on Career Aspirations for Students and Children in English

Footer

  • RS Aggarwal Solutions
  • RS Aggarwal Solutions Class 10
  • RS Aggarwal Solutions Class 9
  • RS Aggarwal Solutions Class 8
  • RS Aggarwal Solutions Class 7
  • RS Aggarwal Solutions Class 6
  • English Speech
  • ICSE Solutions
  • Selina ICSE Solutions
  • ML Aggarwal Solutions
  • HSSLive Plus One
  • HSSLive Plus Two
  • Kerala SSLC
  • Textbook Solutions
  • Distance Education
DisclaimerPrivacy Policy
Area Volume CalculatorBiology Homework Help
Big Ideas Math Answers
Homework HelpHistory Questions and Answers